मोकामा विधानसभा चुनाव 2025 (Mokama Vidhan Sabha Election 2025)
मोकामा: मोकामा के चुनावी रण में एक और दिलचस्प मोड़ आने वाला है. भाजपा समर्थित सूरजभान सिंह की संभावित एंट्री. सूरजभान खुद भी एक समय मोकामा के बाहुबली माने जाते थे और अब वे अनंत सिंह के सबसे बड़े विरोधी के रूप में उभर रहे हैं.
बिहार की राजनीति में मोकामा विधानसभा सीट का एक अलग ही रुतबा है. यह सीट बाहुबली नेताओं के प्रभाव, जातीय समीकरणों और राजनीतिक उठापटक का जीवंत उदाहरण रही है. पिछले दो दशकों से अनंत सिंह उर्फ 'छोटे सरकार' का इस सीट पर दबदबा रहा है, लेकिन अब स्थितियां तेजी से बदल रही हैं. आने वाले 2025 विधानसभा चुनाव से पहले मोकामा में नए समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं, जो राजनीति को पूरी तरह से पलट सकते हैं.
Mokama Vidhan Sabha Election 2025: Date and Phase Details
Mokama Vidhan Sabha Election 2025: मोकामा विधानसभा सीट पर मतदान फेज 1 प्रथम चरण में होगा। इस चरण में मतदान की तिथि 6 नवंबर 2025 तय की गई है। मतगणना (Counting) 14 नवंबर 2025 को होगी।
अनंत सिंह: बाहुबली से नेता बनने की कहानी
अनंत सिंह ने 2005 में जेडीयू के टिकट पर मोकामा से पहली बार जीत दर्ज की थी. इसके बाद उन्होंने 2010 में भी जीत दोहराई. लेकिन 2015 में जब जेडीयू से उनके संबंध खराब हुए, तब उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की, जिससे उनकी पकड़ का अंदाजा लगाना आसान हो गया. 2020 में उन्होंने राजद के टिकट पर जीत दर्ज की, और साबित कर दिया कि मोकामा उनके नाम पर ही वोट करता है, न कि पार्टी के नाम पर.
2022 में किसी तरह बची अनंत सिंह की कुर्सी(Mokama Assembly Election)
हालांकि 2022 में अनंत सिंह को कोर्ट से सजा मिलने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो गई, जिससे उपचुनाव जरूरी हो गया. उनकी पत्नी नीलम देवी ने राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा और भाजपा की सोनम देवी को करीब 17 हजार वोटों से हराया. यह जीत भले ही दर्ज हुई, लेकिन अंतर पहले की तुलना में काफी कम था.
जातीय समीकरण: चुनावी गणित का दिलचस्प खेल(Mokama Vidhan Sabha)
मोकामा में कुल करीब 2.68 लाख मतदाता हैं. इनमें भूमिहार, कुर्मी और यादव सबसे प्रभावशाली जातीय समूह हैं. अनंत सिंह खुद भूमिहार समुदाय से आते हैं और उन्हीं के वोट बैंक पर अब तक जीतते आए हैं. लेकिन भाजपा ने हालिया उपचुनाव में सोनम देवी को भी भूमिहार समुदाय से उतारकर सीधी टक्कर दी. इसके अलावा धानुक, पासवान और मुसलमान मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. राजद को मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण का फायदा तो मिलता है, लेकिन भूमिहार मतों में सेंधमारी भाजपा की ताकत बन रही है.
भाजपा की नई रणनीति: 'बाहुबली बनाम बदलाव' की बुनियाद
मोकामा सीट पर भाजपा पहले तक अपने सहयोगी दलों को मौका देती थी, लेकिन 2022 में पहली बार खुद मैदान में उतरी. पार्टी ने सोनम देवी को टिकट देकर यह दिखाने की कोशिश की कि अब वह बाहुबली राजनीति के खिलाफ एक "स्वच्छ छवि" की राजनीति को बढ़ावा देना चाहती है. भाजपा की कोशिश है कि 2025 में मोकामा को बाहुबली प्रभाव से मुक्त कर एक नया संदेश दिया जाए.
2025 की तैयारी: सूरजभान सिंह की एंट्री और जेडीयू की चुप्पी
मोकामा के चुनावी रण में एक और दिलचस्प मोड़ आने वाला है. भाजपा समर्थित सूरजभान सिंह की संभावित एंट्री. सूरजभान खुद भी एक समय मोकामा के बाहुबली माने जाते थे और अब वे अनंत सिंह के सबसे बड़े विरोधी के रूप में उभर रहे हैं. यदि भाजपा ने उन्हें टिकट दिया, तो चुनावी जंग काफी तीखी हो सकती है. वहीं, जेडीयू की भूमिका अब तक स्पष्ट नहीं है. एक समय अनंत सिंह जेडीयू के कद्दावर नेता माने जाते थे, लेकिन नीतीश कुमार ने उनसे दूरी बना ली है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि जेडीयू किसे समर्थन देती है या खुद मैदान में उतरती है.
निष्कर्ष: मोकामा में बदलाव की बयार या फिर बाहुबली की वापसी?
मोकामा विधानसभा सीट आने वाले विधानसभा चुनावों में बिहार की राजनीति का सबसे चर्चित केंद्र बन सकती है. जहां एक ओर अनंत सिंह की राजनीतिक विरासत और पत्नी नीलम देवी की लोकप्रियता है, वहीं दूसरी ओर भाजपा और सूरजभान जैसे चेहरे बदलाव की राजनीति का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. 2025 का चुनाव बाहुबली बनाम बदलाव की उस लड़ाई को दर्शाएगा, जो सिर्फ मोकामा ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार की राजनीति की दिशा तय कर सकता है.