सिकन्दरा विधानसभा चुनाव 2025 (Sikandra Assembly Election 2025)
Sikandra Vidhan Sabha Chunav 2025
सिकंदरा: सिकंदरा की सियासत में मतदाता हर बार नया संदेश देते हैं. अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित इस सीट पर बीते तीन विधानसभा चुनावों में तीन अलग-अलग दलों ने जीत दर्ज की है. हर चुनाव में सिकंदरा विधानसभा सीट एक नया मोड़ लेता है.
बिहार के जमुई जिले की सिकंदरा विधानसभा सीट पर सियासत का खेल हर चुनाव में एक नया मोड़ लेता है. अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित इस सीट पर बीते तीन विधानसभा चुनावों में तीन अलग-अलग दलों ने जीत दर्ज की है. हर चुनाव में मतदाताओं ने नया भरोसा जताया है, जिससे यह सीट राजनीति का ‘हॉटस्पॉट’ बन गई है.
2020 में ‘हम’ ने मारी बाज़ी
2020 के विधानसभा चुनाव में जीत का सेहरा बंधा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के उम्मीदवार प्रफुल्ल कुमार मांझी के सिर. उन्होंने कांग्रेस के सुधीर कुमार उर्फ बंटी चौधरी को 5,505 वोटों के अंतर से हराया. मांझी को 47,061 वोट यानी करीब 30.67% मत मिले. यह चुनाव पहले चरण में 28 अक्टूबर को हुआ था और मतदान प्रतिशत 52.82% रहा. यह जीत ‘हम’ के लिए सिकंदरा जैसे मुकाबले वाले क्षेत्र में बड़ी राजनीतिक कामयाबी मानी गई.
2015 में कांग्रेस का जलवा
इसके पहले 2015 में सिकंदरा ने कांग्रेस के सुधीर कुमार उर्फ बंटी चौधरी को अपना विधायक चुना था. उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के सुभाष चंद्र बोस को लगभग 8,000 वोटों से शिकस्त दी. सुधीर को करीब 59,000 वोट मिले थे, जिससे साफ था कि तब कांग्रेस के प्रति जनता का रुझान मजबूत था.
2010 में जेडीयू की बारी
2010 के चुनाव में यह सीट जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के खाते में गई थी. रामेश्वर पासवान ने एलजेपी के सुभाष चंद्र बोस को हराकर सीट पर कब्जा जमाया. उस चुनाव में रामेश्वर को करीब 39,829 वोट, जबकि बोस को 27,468 वोट मिले. मुकाबला कड़ा था, लेकिन जेडीयू ने यह सीट निकाल ली.
क्या 2025 में फिर बदलेगा सिकंदरा का सिकंदर?
सिकंदरा की सियासत में मतदाता हर बार नया संदेश देते हैं. यह सीट किसी की जागीर नहीं. 2010 से अब तक हर बार नया दल विजयी रहा है. अब सवाल ये है कि 2025 में क्या कोई पुराना खिलाड़ी वापसी करेगा या कोई नया चेहरा बनेगा सिकंदर?