तरारी विधानसभा चुनाव 2025 (Tarari Assembly Election 2025)
2010 तरारी विधानसभा चुनाव: जेडीयू के नरेंद्र कुमार पांडेय की जीत(Tarari Assembly Election)
2010 के चुनाव में, जनता दल (यूनाइटेड) के उम्मीदवार नरेंद्र कुमार पांडेय ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अदीब रिज़वी को 14,320 वोटों के अंतर से हराया। पांडेय को 48,413 वोट मिले, जबकि रिज़वी को 34,093 वोट मिले। इस चुनाव में जेडीयू ने यह सीट अपने नाम की थी, जिससे पार्टी की राजनीतिक पकड़ मजबूत हुई थी।
2015: CPI(ML)(L) के सुदामा प्रसाद की पहली जीत(Tarari Vidhan Sabha)
2015 में, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (लिबरेशन) के सुदामा प्रसाद ने लोजपा की गीता पांडेय को महज 272 वोटों के मामूली अंतर से हराया। सुदामा को 44,050 वोट मिले, जबकि गीता पांडेय को 43,778 वोट मिले। यह मुकाबला बहुत ही करीबी था और सुदामा प्रसाद की यह जीत वामपंथी दलों की ताकत को दर्शाती है।
2020: सुदामा प्रसाद की वापसी
2020 के विधानसभा चुनाव में, सुदामा प्रसाद ने निर्दलीय उम्मीदवार नरेंद्र कुमार पांडेय को 13,015 वोटों के बड़े अंतर से हराया। सुदामा प्रसाद को 75,945 वोट मिले, जबकि पांडेय को 62,930 वोट मिले। इस बार सुदामा ने यह सीट पुनः अपने नाम की और अपनी ताकत को साबित किया।
2024 उपचुनाव: भाजपा के विशाल प्रशांत की जीत
2024 में, जब सुदामा प्रसाद ने सांसद बनने के बाद अपनी विधानसभा सीट छोड़ दी, तो यहाँ उपचुनाव हुआ। इस उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के विशाल प्रशांत ने CPI(ML)(L) के राजू यादव को 10,612 वोटों के अंतर से हराया। विशाल प्रशांत को 78,755 वोट मिले, जबकि राजू यादव को 68,143 वोट मिले। यह जीत भाजपा के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, खासकर जब यह सीट पहले वामपंथी दलों का गढ़ रही थी।
राजनीति के बदलते समीकरण
तरारी विधानसभा सीट पर हुए इन चुनावों के परिणाम ने बिहार की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दिया है। जहां 2010 में जेडीयू की जीत हुई, वहीं 2015 में वामपंथी दलों की ताकत दिखाई दी। 2020 में सुदामा प्रसाद की विजय ने यह साबित किया कि वामपंथी दलों की पकड़ अभी भी मजबूत है, लेकिन 2024 के उपचुनाव में भाजपा की जीत ने नए राजनीतिक परिदृश्य को जन्म दिया है।