सासाराम विधानसभा चुनाव 2025 (Sasaram Assembly Election 2025)
Sasaram Vidhan Sabha Chunav 2025
बिहार की राजनीति में रोहतास जिले की सासाराम विधानसभा सीट का अपना अलग महत्व है. ऐतिहासिक दृष्टि से यह सीट न केवल राजनीतिक रूप से अहम रही है, बल्कि सामाजिक और जातीय समीकरणों का केंद्र भी रही है. बीते वर्षों में यह सीट कई बार सियासी उलटफेरों का गवाह बनी है. यहां पर जातीय समीकरण, दलों की रणनीति और उम्मीदवारों की छवि मिलकर परिणाम को तय करते हैं.
भौगोलिक और सामाजिक प्रोफाइल
सासाराम सीट रोहतास जिले के शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों को मिलाकर बनी है. यहां पर कुशवाहा, राजपूत, यादव, ब्राह्मण और दलित समुदायों की बड़ी आबादी है. इनमें से कुशवाहा समुदाय का प्रभाव चुनावी समीकरणों को तय करने में अहम भूमिका निभाता है. यही वजह है कि प्रमुख राजनीतिक दल इस सीट पर उम्मीदवार तय करते समय इस जातीय समीकरण को खास महत्व देते हैं.
RJD का दबदबा कायम
सासाराम में पिछले तीन दशकों से राष्ट्रीय जनता दल (RJD), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के बीच कांटे की टक्कर रही है. कई बार इन दलों ने यहां जीत दर्ज की है, तो कई बार चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं. 2010, 2015 और 2020 के चुनावों में RJD ने इस सीट पर दबदबा बनाए रखा है.
पिछले तीन चुनावों पर एक नजर
2020 विधानसभा चुनाव
2020 में सासाराम सीट से RJD के राजेश कुमार गुप्ता ने JDU के अशोक कुमार को हराकर जीत हासिल की. राजेश को 83,303 वोट (46.54%) मिले, जबकि अशोक कुमार को 56,880 वोट (31.78%) पर संतोष करना पड़ा. जीत का अंतर 26,423 वोटों का रहा। यह परिणाम यह बताता है कि क्षेत्र में RJD की पकड़ मजबूत हो रही है.
2015 विधानसभा चुनाव
2015 में RJD के ही अशोक कुमार ने BJP के वरिष्ठ नेता जवाहर प्रसाद को 19,612 वोटों से हराया था. अशोक कुमार को 82,766 वोट मिले थे, जबकि जवाहर प्रसाद को 63,154 वोट प्राप्त हुए. यह चुनाव महागठबंधन के समर्थन से लड़ा गया था और RJD ने इसका पूरा लाभ उठाया.
2010 विधानसभा चुनाव
2010 में भी अशोक कुमार RJD के टिकट पर चुनाव जीते थे. उन्होंने लगातार दो बार जीत दर्ज कर यह साबित किया था कि उनकी व्यक्तिगत पकड़ भी इस क्षेत्र में मजबूत है.
जातीय समीकरण और रणनीति की भूमिका
सासाराम सीट पर हर चुनाव में जातीय समीकरण निर्णायक भूमिका निभाते हैं. कुशवाहा समुदाय के वोटर निर्णायक माने जाते हैं, लेकिन राजपूत, यादव और मुस्लिम वोटरों के समर्थन के बिना जीत पाना आसान नहीं होता. यही वजह है कि यहां हर राजनीतिक दल उम्मीदवार चयन में सामाजिक संतुलन बनाने की कोशिश करता है. 2020 में राजेश कुमार गुप्ता को कुशवाहा, मुस्लिम और यादव वोट बैंक का समर्थन मिला, जिसने उन्हें स्पष्ट बढ़त दिलाई.
गढ़ बचाने की चुनौती
सासाराम विधानसभा सीट बिहार की उन चुनिंदा सीटों में से एक है, जहां जातीय समीकरण, दलों की रणनीति और उम्मीदवार की छवि मिलकर परिणाम तय करते हैं. बीते तीन चुनावों से RJD यहां मजबूत बनी हुई है, लेकिन आगामी चुनावों में समीकरण बदल भी सकते हैं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या RJD एक बार फिर अपनी सीट बचा पाएगी, या विपक्षी दल कोई नया चौंकाने वाला मोड़ लाएंगे.