घोसी विधानसभा चुनाव 2025 (Ghosi Assembly Election 2025)
Ghosi Vidhan Sabha Chunav 2025
घोसी विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास दर्शाता है कि यहां की राजनीति में समय-समय पर बदलाव आते रहे हैं. जहां एक ओर परिवारवाद का प्रभाव था, वहीं अब महागठबंधन और लेफ्ट की मजबूत उपस्थिति ने समीकरणों को बदल दिया है. आने वाले चुनावों में इस सीट पर कौन बाजी मारेगा, यह देखना दिलचस्प होगा.
बिहार के जहानाबाद जिले की घोसी विधानसभा सीट पर पिछले तीन चुनावों में राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. यह सीट लंबे समय तक एक ही परिवार के कब्जे में रही, लेकिन 2015 के बाद से यहां के चुनावी इतिहास ने नया मोड़ लिया.
पिछले तीन विधानसभा चुनावों का इतिहास
1. 2020 – लेफ्ट ने तोड़ा परिवारवाद का वर्चस्व
2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवार राम बली सिंह यादव ने जनता दल (यूनाइटेड) के राहुल कुमार को 17,333 वोटों से हराकर घोसी सीट पर जीत दर्ज की. यह जीत न केवल लेफ्ट की मजबूती को दर्शाती है, बल्कि एक परिवार के 38 साल के वर्चस्व को भी चुनौती देती है.
2. 2015 – जदयू ने परिवारवाद को दी चुनौती
2015 के चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) के कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा ने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के राहुल कुमार को 21,625 वोटों से हराया. इससे पहले, इस सीट पर लगातार एक ही परिवार का दबदबा था.
3. 2010 – जदयू ने किया कब्जा
2010 के विधानसभा चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) के राहुल कुमार ने लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के जगदीश प्रसाद को 14,276 वोटों से हराया। यह चुनाव भी परिवारवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण मोड़ था.
सीट का जातीय और भौगोलिक समीकरण
घोसी विधानसभा सीट में कुल 2,62,439 मतदाता हैं, जिनमें से 57.85% ने 2020 के चुनाव में मतदान किया. इस क्षेत्र की राजनीति में यादव, कुर्मी, भूमिहार और दलित समुदायों का महत्वपूर्ण योगदान है. इसके अलावा, एससी समुदाय के करीब 20% से अधिक वोटर हैं, जो चुनावी परिणामों को प्रभावित करते हैं.
सीट का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
घोसी विधानसभा सीट का अस्तित्व 1951 से है. इस सीट पर पहली बार निर्दलीय रामचंद्र यादव ने जीत हासिल की थी. इसके बाद, कांग्रेस, CPI, और जनता पार्टी के उम्मीदवारों ने इस सीट पर जीत दर्ज की. 1977 से लेकर 2008 तक इस सीट पर लगातार जगदीश शर्मा का दबदबा रहा. 2005 के बाद जनता दल (यूनाइटेड) ने इस सीट पर कब्जा किया, लेकिन 2015 के बाद से लेफ्ट ने इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत की है.