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अतरी विधानसभा चुनाव 2025
(atri Vidhan Sabha Chunav 2025)
अतरी विधानसभा सीट: सियासी समीकरण और जातीय गणित
अतरी विधानसभा चुनाव परिणाम
2020
2015
2010
CANDIDATE NAME | PARTY | VOTES |
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अतरी विधान सभा चुनाव से जुडी जानकारी
बिहार के गया जिले में स्थित अतरी विधानसभा सीट चुनावी दृष्टि से बेहद दिलचस्प मानी जाती है. यहां का सामाजिक ताना-बाना, बदलती राजनीतिक हवाएं और जातीय समीकरण मिलकर हर बार एक नया चुनावी परिणाम गढ़ते हैं. 2025 के चुनावी संग्राम से पहले अतरी का मिजाज समझना बेहद जरूरी हो गया है.
2020 का चुनाव परिणाम: आरजेडी की वापसी
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अजय यादव ने अतरी सीट से जीत दर्ज की. उन्होंने जदयू के मनोरमा देवी को पटखनी दी थी. वहीं इस चुनाव में लोजपा के अरविंद तीसरे स्थान पर रहे थे.
अजय यादव (राजद): 62,658 वोट (वोट शेयर 36.55%)
मनोरमा देवी (जदयू): 54,727 वोट (वोट शेयर 31.93%)
अरविंद कुमार सिंह (लोजपा): 25,873 वोट
अजय यादव ने जदयू की मजबूत उम्मीदवार मनोरमा देवी को लगभग 7,931 वोटों से हराया. यह मुकाबला काफी नजदीकी था और साफ दिखा कि अतरी में जातीय ध्रुवीकरण के बीच आरजेडी अपनी पकड़ बनाए रखने में सफल रहा.
2015 का चुनाव: कुन्ती देवी की जीत
2015 में भी आरजेडी ने अतरी सीट अपने नाम की थी. आरजेडी की प्रत्याशी कुन्ती देवी ने 13,817 वोटों के अंतर से लोजपा के अरविंद कुमार सिंह को हराया. इस सीट पर यादव और मुस्लिम समुदाय का समर्थन आरजेडी के पक्ष में निर्णायक रहा था.
कुन्ती देवी (राजद): 60,687 वोट (39%)
अरविंद कुमार सिंह (लोजपा): 46,870 वोट (30%)
कृष्णा नंदन यादव (जाप): 9,603 वोट
2010 का चुनाव: जदयू के कृष्णा नंदन यादव का जलवा
2010 में जनता दल (यूनाइटेड) के कृष्णा नंदन यादव ने आरजेडी की कुन्ती देवी को हराया था. जीत का अंतर 20,610 वोटों का रहा था. यह वह समय था जब जदयू-भाजपा गठबंधन की सरकार को जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा था.
कृष्णा नंदन यादव (जदयू): 55,633 वोट (48%)
कुन्ती देवी (राजद): 35,023 वोट (30%)
अश्विनी कुमार (कांग्रेस): 6,345 वोट
जातीय समीकरण: चुनाव की असली चाबी
अतरी विधानसभा सीट का चुनाव जातीय समीकरणों से तय होता रहा है. यहां का सामाजिक ढांचा कुछ इस प्रकार है:
यादव जाति की संख्या सबसे अधिक है, जो लगभग 20-22% मानी जाती है.
मुस्लिम मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं, लगभग 18-20%.
सवर्ण समुदाय (ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार) मिलकर 15% के आसपास हैं.
पासवान (दलित) समुदाय की भी अच्छी पकड़ है, करीब 10-12%.
इसके अलावा ओबीसी अन्य जातियां (कुर्मी, कोईरी, तेली आदि) और अनुसूचित जाति/जनजाति के वोट भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
यादव-मुस्लिम समीकरण आरजेडी के परंपरागत वोट बैंक रहे हैं. जबकि सवर्ण, पासवान और कुछ अन्य ओबीसी वर्गों का झुकाव जदयू-भाजपा गठबंधन की ओर देखा जाता रहा है. लोजपा भी दलित वोटों में सेंध लगाने की कोशिश करती रही है.
अतरी विधानसभा: अबकी बार किसकी सरकार?
अब सवाल यह है कि 2025 में अतरी की जनता फिर से राजद के साथ जाती है या बदलाव का रास्ता चुनती है?
मुख्य मुद्दे जैसे - सड़क और शिक्षा व्यवस्था, बेरोजगारी, कृषि संकट, और सुरक्षा इस बार भी चुनावी एजेंडा में रहेंगे.
जातीय ध्रुवीकरण के बीच उम्मीदवार की छवि, पार्टी की रणनीति और स्थानीय मुद्दे ही असली परिणाम तय करेंगे.