झाझा विधानसभा चुनाव 2025 (Jhajha Assembly Election 2025)
Jhajha Vidhan Sabha Chunav 2025
झाझा: झाझा में पहला चुनाव 1951 में हुआ था, जब कांग्रेस के चंद्रशेखर सिंह ने जीत दर्ज की. 60 और 70 के दशक में भी कांग्रेस का दबदबा रहा. लेकिन 1977 में जनता पार्टी की लहर में बनेश्वर प्रसाद सिंह ने कांग्रेस को हराकर नया इतिहास रच दिया. अगर हम 2020 के चुनाव की बात करें तो जेडीयू के दामोदर रावत ने आरजेडी के राजेंद्र यादव को 1,679 वोटों से हराकर सीट अपने नाम की.
बिहार के जमुई जिले की झाझा विधानसभा सीट ने पिछले कुछ दशकों में कई राजनीतिक उतार-चढ़ाव देखे हैं. यह सीट कभी जेडीयू का मजबूत गढ़ रही, तो कभी बीजेपी और आरजेडी ने यहां दमखम दिखाया। यहां के वोटरों ने हमेशा बड़े बदलावों का संकेत दिया है.
इतिहास की बात करें तो झाझा में पहला चुनाव 1951 में हुआ था, जब कांग्रेस के चंद्रशेखर सिंह ने जीत दर्ज की. 60 और 70 के दशक में भी कांग्रेस का दबदबा रहा. लेकिन 1977 में जनता पार्टी की लहर में बनेश्वर प्रसाद सिंह ने कांग्रेस को हराकर नया इतिहास रच दिया. इसके बाद यह सीट कई बार हाथ बदली, जिसमें निर्दलीय और जेडीयू का वर्चस्व खास तौर पर दिखा.
अब नजर डालते हैं पिछले तीन विधानसभा चुनावों पर –
झाझा विधानसभा चुनाव 2020:
जेडीयू के दामोदर रावत ने आरजेडी के राजेंद्र यादव को 1,679 वोटों से हराकर सीट अपने नाम की. रावत को करीब 39.5% वोट मिले जबकि यादव को लगभग 38.7% यह मुकाबला बेहद कांटे का रहा और जेडीयू ने यहां फिर से वापसी की.
झाझा विधानसभा चुनाव 2015:
इस चुनाव में बीजेपी के रवींद्र यादव ने जेडीयू के दामोदर रावत को करारी शिकस्त दी. 22,000 से ज्यादा वोटों के अंतर से मिली जीत बीजेपी के लिए बड़ी कामयाबी थी, जिसने जेडीयू के गढ़ में सेंध लगाई थी.
झाझा विधानसभा चुनाव 2010:
जेडीयू के दामोदर रावत ने आरजेडी के बिनोद यादव को हराया था। उस वक्त रावत को 39% वोट मिले थे जबकि बिनोद यादव को 31% वोट. यह जीत जेडीयू के लिए निर्णायक साबित हुई थी और पार्टी ने इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत की थी.
राजनीतिक महत्त्व:
झाझा सीट पर जेडीयू, बीजेपी और आरजेडी के बीच त्रिकोणीय संघर्ष अब आम बात हो गई है. यहां का चुनावी मूड पूरे जमुई जिले के सियासी समीकरण तय करता है। ऐसे में 2025 का चुनाव इस सीट के लिए निर्णायक हो सकता है.