गया टाऊन विधानसभा चुनाव 2025 (Gaya Town Assembly Election 2025)
Gaya Town Vidhan Sabha Chunav 2025
बिहार की प्रमुख विधानसभा सीटों में से एक, गया टाउन विधानसभा क्षेत्र एक बार फिर सुर्खियों में है. 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बाजी मारी थी. अब 2025 का रण सामने है. इस लेख में हम आपको गया टाउन सीट से जुड़े सभी अहम पहलुओं- उम्मीदवारों की सूची, दलों का प्रचार, सीट का ऐतिहासिक प्रदर्शन, वोट प्रतिशत और प्रत्याशियों के बीच हुई टक्कर से रूबरू कराएंगे.
गया टाउन विधानसभा सीट का भूगोल और राजनीति
गया जिले में स्थित गया टाउन विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है. शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों को मिलाकर बना यह क्षेत्र, विभिन्न सामाजिक और आर्थिक वर्गों का प्रतिनिधित्व करता है.
2020 का चुनावी परिणाम
2020 के विधानसभा चुनाव में यहां कुल 49.89% वोटिंग दर्ज की गई थी. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार ने कांग्रेस प्रत्याशी अखौरी ओंकार नाथ को 11,898 वोटों के अंतर से हराकर लगातार अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी थी. यह जीत भाजपा के लिए जहां बड़ी राहत लेकर आई थी, वहीं कांग्रेस के लिए यह एक कड़ी चुनौती साबित हुई थी.
पिछले चुनावों का विश्लेषण
2010 में भारतीय जनता पार्टी के प्रेम कुमार ने 55,618 वोट के साथ सीपीआई के जलालउद्दीन अंसारी को हराया. जीत का अंतर 28,417 वोटों का था. 2015 में भी भारतीय जनता पार्टी के प्रेम कुमार ने 66,891 वोट के साथ कांग्रेस की प्रिया रंजन को हराया था. वोटों का अंतर 22,789 था.
कौन-कौन हैं इस बार मैदान में?
2025 के चुनाव में भी यहां कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है. भाजपा, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और अन्य दलों के संभावित उम्मीदवारों ने क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. जनता के मुद्दे- जैसे कि बुनियादी सुविधाएं, रोजगार, ट्रैफिक जाम की समस्या और शिक्षा प्रचार अभियानों के केंद्र में हैं.
जनता का मूड और चुनावी सरगर्मियां
चुनावी मौसम जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे इलाके में चुनावी हलचल तेज हो गई है. बड़े नेता यहां सभाएं कर रहे हैं, और स्थानीय कार्यकर्ता घर-घर जाकर जनता से समर्थन मांग रहे हैं. अब देखना यह है कि क्या प्रेम कुमार एक बार फिर सीट बचा पाएंगे या जनता इस बार बदलाव का मन बना चुकी है? गया टाउन सीट के परिणाम न सिर्फ जिले में बल्कि पूरे बिहार की सियासी फिजा पर असर डाल सकते हैं. इसलिए यहां की हर हलचल पर सभी राजनीतिक दलों की नजरें टिकी हुई हैं.