Bihar Election 2025: गयाजी. बिहार विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है. चारों तरफ विकास की बातें हो रही हैं. एक मसले पर सभी जब तमाम दलों के नेता एकमत हैं कि बिहार में पिछले 20 वर्षों में बदलाव हुआ है तो गया का बिरहोर टाला चुपचाप इन दावों को देख सुन रहा है. आज की तारीख में भी इस मोहल्ले में एक भी लोग शिक्षित नहीं हैं. अनुसूचित जनजाति बहुत इस मोहल्ले में चुनाव का मतलब पूछना ही बेमानी है. गया जिले के फतेहपुर प्रखंड की कठौतिया केवाल पंचायत का बिरहोर टोला आज भी इस उम्मीद में है कि कोई नेता उसके दरवाजे तक आयेगा. इस टोले में अब तक विधायक छोड़िये कोई नेता तक नहीं पहुंचा है.
न अनाज, न आवास और न ही शिक्षा
गया जिला मुख्यालय से करीब 48 किलोमीटर दूर जिले का एकमात्र जनजातियों टोला बिरहोर में विकास एक उम्मीद है जो मरती भी नहीं और पूरी हुई भी नहीं. आजादी के बाद की तमाम सरकारों ने कभी इस टोले की ओर शायद नजर उठा कर नहीं देखा, वर्ना हालात इतने बदतर तो नहीं होते. सरकारी उपेक्षा का आलम यह है कि यहां न तो लोगों को सरकारी खाना सही से मिल रहा है और न शिक्षा की कोई व्यवस्था है. अधिकतर लोग आदम जमाने की तरह कंद मूल खाकर जीवन बसर कर रहे हैं. कुछ एक का राशन कार्ड अगर बना भी है, तो उस पर राशन कभी कभार ही मिलता है.
विकास का इंतजार करता एक मोहल्ला
विकास और चुनाव पर जब यहां के लोगों की राय पूछी गयी तो वह ठीक से बोल भी नहीं पाते हैं. सभी जुबान से ज्यादा आंखों से जबाव दे रहे थे. अधिकतर लोगों को अपने विधायक का नाम नहीं पता है. कौन सा कार्ड उनके पास है, यह भी नहीं पता है. मोहल्ले के एक व्यक्ति का कहना है कि उनके टोले में कोई जनप्रतिनिधि नहीं आता जाता है. चुनाव के समय कोई वोट देने जाता है, तो कोई नहीं जाता है. टोले में सरकारी स्तर पर आवास योजना पहुंची तो है, पर वर्षों से कोई मकान पूरा नहीं बन पाया है. इस टोले में जितने मतदाता हैं, उससे लगभग आधे लोगों का ही मतदाता फोटो पहचान पत्र बना है. विकास यहां तक पहुंचा है, लोग उसके आने की राह देखते हैं.

