बड़हरिया विधानसभा चुनाव 2025 (Barharia Assembly Election 2025)
बिहार के सिवान जिले की महत्वपूर्ण बड़हरिया विधानसभा सीट पर हर चुनाव में जनता ने अलग-अलग संकेत दिए हैं. यह सीट राज्य की सियासत में अपनी खास पहचान रखती है. 2020 के चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. लेकिन इससे पहले यहां का राजनीतिक सफर कई उतार-चढ़ाव भरा रहा है.
बड़हरिया विधानसभा सीट पर 2020 में कुल 41.62% मतदान हुआ था. इस चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के बच्चा पांडेय ने जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के श्याम बहादुर सिंह को 3,559 वोटों के मामूली अंतर से हराया था. बच्चा पांडेय को 71,793 वोट मिले जबकि श्याम बहादुर सिंह को 68,234 वोट हासिल हुए. वोट शेयर की बात करें तो बच्चा पांडेय को 41.62% और श्याम बहादुर सिंह को 39.55% मत मिले थे. लेकिन अगर हम पीछे मुड़कर देखें तो तस्वीर कुछ और थी.
2015 बड़हरिया विधानसभा का चुनाव(Barharia Assembly Election)
2015 के विधानसभा चुनाव में बड़हरिया सीट से जदयू के श्याम बहादुर सिंह ने शानदार जीत दर्ज की थी. उन्होंने 65,168 वोट पाकर लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के बच्चा पांडेय को 14,583 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. श्याम बहादुर सिंह का वोट शेयर 42% रहा था, जबकि बच्चा पांडेय को 33% वोट मिले थे.
2010 बड़हरिया विधानसभा का चुनाव (Barharia Vidhan Sabha)
2010 में भी श्याम बहादुर सिंह ने बड़हरिया सीट से जीत हासिल की थी. उस समय उन्होंने 53,707 वोट प्राप्त किए थे और उनके सबसे करीबी प्रतिद्वंदी, राजद के मोहम्मद मोबीन, को 28,586 वोट मिले थे. इस चुनाव में श्याम बहादुर सिंह का वोट शेयर 47% और मोबीन का वोट शेयर 25% रहा था. श्याम बहादुर सिंह ने लगभग 25,121 वोटों के विशाल अंतर से जीत दर्ज की थी.
बड़हरिया में बदलते राजनीतिक समीकरण
2010 और 2015 में लगातार जीत दर्ज करने वाले श्याम बहादुर सिंह 2020 में बच्चा पांडेय के सामने हार गए. दिलचस्प बात यह भी रही कि 2015 में बच्चा पांडेय एलजेपी से चुनाव लड़े थे जबकि 2020 में वह राजद के टिकट पर मैदान में थे. जनता का मूड हर चुनाव में थोड़ा-थोड़ा बदलता रहा है. 2010 और 2015 में जदयू के पक्ष में मजबूत जनादेश था, लेकिन 2020 में राजद ने बढ़त बनाई. 2020 का चुनाव बेहद कांटे का रहा, जिसमें मामूली अंतर से परिणाम तय हुआ.
2025 में किस करवट बदलेगी बड़हरिया?
अब जब 2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, तो यह देखना रोचक होगा कि बड़हरिया की जनता इस बार किसे मौका देती है. क्या राजद अपना कब्जा बरकरार रख पाएगा, या जदयू फिर से वापसी करेगा? या फिर कोई तीसरा चेहरा चुनावी समीकरण बदल देगा? बड़हरिया की सीट पर मतदाता हर बार सोच-समझकर फैसला लेते हैं और इस बार भी जनता का फैसला ही तय करेगा कि बड़हरिया की सियासी किस्मत किसके हाथों में जाएगी.