जीरादेई विधानसभा चुनाव 2025 (Ziradei Assembly Election 2025)
1980 और 90 के दशक में जिरादेई सीट पर कांग्रेस की मजबूत पकड़ हुआ करती थी. जयंती देवी और कांग्रेस के अन्य नेताओं ने यहां से चुनाव जीतकर प्रतिनिधित्व किया. लेकिन मंडल आयोग के बाद के दौर में यहां यादव, कुशवाहा और मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव समाजवादी धड़े की ओर बढ़ा और लालू यादव की पार्टी राजद ने यहां अपनी पकड़ बनाई.
2010 में BJP के कद्दावर नेता आशा देवी ने जिरादेई से जीत दर्ज की. उन्हें 29,442 वोट मिले थे, जबकि CPI (ML) (L)के अमरजीत कुशवाहा को 20,552 वोट प्राप्त हुए.
2015 में JDU के रमेश सिंह कुशवाहा ने बीजेपी की आशा देवी को हराकर बड़ी जीत हासिल की. रमेश सिंह को 40,760 वहीं आशा देवी को 34,669 वोट मिले थे.
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में इस सीट पर बड़ा उलटफेर देखने को मिला. सीपीआई(एमएल) से अमरजीत कुशवाहा ने चुनाव लड़ा और भारी अंतर से जीत दर्ज की. उन्हें 69,442 वोट मिले. वहीं जदयू के कमला सिंह को 43,932 वोट प्राप्त हुए थे.
सीपीआई(एमएल) की मजबूत ग्रासरूट पकड़(Ziradei Assembly)
सीपीआई(एमएल) ने लगातार पंचायत और ग्राम स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी की है, जिसका फायदा उन्हें 2020 में मिला. खासकर भूमिहीन, दलित, पिछड़ी जातियों और युवाओं में पार्टी की पैठ बढ़ी है. अमरजीत कुशवाहा ने क्षेत्र में लगातार जनसंपर्क और जमीनी मुद्दों को उठाकर अपनी छवि मजबूत की है.
जातीय समीकरण: कुशवाहा, यादव और मुस्लिम वोटर निर्णायक(Ziradei Vidhan Sabha)
जिरादेई विधानसभा में कुशवाहा मतदाता सबसे बड़ी संख्या में हैं, जिनका झुकाव हाल के वर्षों में महागठबंधन और वामपंथी दलों की ओर रहा है. इसके बाद यादव, राजपूत, दलित और मुस्लिम वोटरों की अच्छी-खासी संख्या है. मुस्लिम वोटर्स का समर्थन अगर एकमुश्त मिलता है तो किसी भी दल की जीत सुनिश्चित हो सकती है. भाजपा को यहां ब्राह्मण, राजपूत और कुछ वैश्य मतदाताओं का समर्थन प्राप्त होता रहा है.
2025 में जिरादेई विधानसभा में मुकाबला रोचक होने के आसार
जिरादेई विधानसभा सीट पर आगामी 2025 के चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. सीपीआई(एमएल) जहां मौजूदा विधायक अमरजीत कुशवाहा को फिर से मैदान में उतार सकती है, वहीं भाजपा सीट को हर हाल में वापस लेना चाहती है. राजद भी यहां फिर से वापसी की तैयारी में है. यदि महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान होती है, तो विपक्षी वोटों के बंटवारे का लाभ भाजपा को मिल सकता है.