शाहपुर विधानसभा चुनाव 2025 (Shahpur Assembly Election 2025)
2020 शाहपुर विधानसभा का चुनावी परिणाम(Shahpur Assembly Election)
वर्ष 2020 में शाहपुर सीट पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के उम्मीदवार राहुल तिवारी ने निर्दलीय उम्मीदवार शोभा देवी को बड़े अंतर से हराया था. राहुल तिवारी को अपने बेहतरीन जमीनी संपर्क और सामाजिक समीकरण साधने की कला का लाभ मिला. उन्होंने 22,883 वोटों के बड़े मार्जिन से जीत दर्ज की. कुल मतदान प्रतिशत 41.14% रहा, जो राज्य के औसत से थोड़ा कम था, लेकिन फिर भी निर्णायक साबित हुआ.
राहुल तिवारी (राजद): 64,393
शोभा देवी (निर्दलीय): 41,510
मुन्नी देवी (भाजपा): 21,355
2015 शाहपुर विधानसभा चुनाव रिजल्ट(Shahpur Assembly)
2015 विधानसभा चुनाव में राजद के राहुल तिवारी ने भाजपा के विश्वेश्वर ओझा को 14,570 वोटों से हराया था. राहुल तिवारी को 69,315 वोट मिले थे. वहीं भाजपा के विश्वेश्वर ओझा को 54,745 वोटों से ही संतुष्ट होना पड़ा था.
2010 शाहपुर विधानसभा में भाजपा की हुई थी जीत(Shahpur Vidhan Sabha)
2010 चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी की इस सीट पर जीत हुई थी. बीजेपी की मुन्नी देवी ने राजद के धर्मपाल सिंह को 8,211 वोटों से हराया था.
मुन्नी देवी (भाजपा): 44,795
धर्मपाल सिंह (राजद): 36,584
क्षेत्रीय परिदृश्य:
शाहपुर क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण और कृषि आधारित है. यहां की राजनीति जातीय समीकरणों, विकास कार्यों, किसान मुद्दों और स्थानीय नेतृत्व की पकड़ पर आधारित रहती है. यादव, कुर्मी, भूमिहार और दलित समुदायों का यहां खासा प्रभाव है. 2020 में राजद ने यादव और मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट कर अच्छी पकड़ बनाई थी, जबकि शोभा देवी को स्थानीय स्तर पर कुछ जातीय समूहों का समर्थन प्राप्त था, जो नाकाफी साबित हुआ.
2025 शाहपुर विधानसभा के संभावित समीकरण:
2025 के विधानसभा चुनाव में शाहपुर सीट पर मुकाबला और रोचक होने की संभावना है. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एक बार फिर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है. राहुल तिवारी या कोई नया चेहरा उम्मीदवार हो सकता है, जो पिछली सरकार के कामों का हवाला देते हुए वोट मांगेगा. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (यूनाइटेड) [जदयू] भी इस सीट पर खासा जोर लगा रहे हैं. एनडीए गठबंधन मतदाताओं तक विकास और स्थायित्व का संदेश लेकर पहुंचेगा. कांग्रेस, भले ही इस क्षेत्र में कमजोर रही हो, पर नए चेहरों के सहारे वापसी की कोशिश कर सकती है. स्वतंत्र प्रत्याशी और क्षेत्रीय छोटे दल भी समीकरण बिगाड़ने या परिणाम प्रभावित करने में भूमिका निभा सकते हैं.
प्रमुख मुद्दे:
सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव
कृषि संकट और किसानों की आय बढ़ाने की मांग
बेरोजगारी की समस्या
स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली
स्थानीय स्कूलों और कॉलेजों में बेहतर शिक्षा सुविधाओं की मांग