छपरा विधानसभा चुनाव 2025 (Chapra Vidhan Sabha Election 2025)
बिहार के सारण जिले की सबसे चर्चित सीटों में शामिल छपरा विधानसभा सिर्फ राजनीतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक और सामाजिक दृष्टि से भी बेहद अहम मानी जाती है. शहरी और ग्रामीण इलाकों का मिला-जुला स्वरूप रखने वाली यह सीट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गढ़ रही है, लेकिन बदलते सामाजिक समीकरण और विपक्ष की रणनीतिक सक्रियता ने 2025 के मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.
Chapra Vidhan Sabha Election 2025: Date and Phase Details
Chapra Vidhan Sabha Election 2025: छपरा विधानसभा सीट पर मतदान फेज 1 प्रथम चरण में होगा। इस चरण में मतदान की तिथि 6 नवंबर 2025 तय की गई है। मतगणना (Counting) 14 नवंबर 2025 को होगी।
मतदाता संख्या और वोटिंग पैटर्न(Chapra Assembly Election)
छपरा विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 3.40 लाख के आसपास है, जिसमें पुरुष मतदाता करीब 1.78 लाख और महिला मतदाता लगभग 1.62 लाख हैं. चूंकि यह एक शहरी-ग्रामीण मिश्रित क्षेत्र है, यहां मतदान प्रतिशत आमतौर पर 50% से 55% के बीच रहता है. शहरी मतदाता जहां विकास और सुविधाओं के मुद्दों को प्राथमिकता देते हैं, वहीं ग्रामीण इलाकों में जातीय समीकरण और स्थानीय प्रभाव अब भी असर डालते हैं.
राजनीतिक इतिहास: भाजपा का वर्चस्व, कांग्रेस और राजद रह चुकी हैं पीछे
2010: भाजपा की बड़ी जीत
2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने शानदार जीत दर्ज की थी. उन्हें कुल 61,045 वोट प्राप्त हुए थे.
2015: एनडीए विरोधी लहर में भी सीट पर पकड़ बरकरार(Chapra Assembly)
जब राज्य में महागठबंधन की लहर चली और कई भाजपा गढ़ दरकने लगे, तब छपरा सीट पर भाजपा के डॉ. सीएन गुप्ता ने मजबूत जीत दर्ज की, हालांकि जीत का अंतर कुछ कम था. उन्हें कुल 71, 646 वोट मिले थे. वहीं राजद के प्रत्याशी रणधीर कुमार सिंह को 60,267 वोट प्राप्त हुए थे.
2020: भाजपा प्रत्याशी की निर्णायक जीत(Chapra Vidhan Sabha)
2020 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ. सीएन गुप्ता ने महागठबंधन प्रत्याशी को कड़े मुकाबले में हराया.
डॉ. सी. एन. गुप्ता (BJP): 75,710 वोट
रणधीर कुमार सिंह (RJD): 60,467 वोट
वोटों का अंतर: 19,163
इस जीत से स्पष्ट हुआ कि छपरा में भाजपा की पकड़ बरकरार है, लेकिन राजद के वोट शेयर में बढ़ोतरी हुई थी.
जातीय समीकरण: वैश्य, यादव और मुस्लिम मतदाता रखते हैं निर्णायक भूमिका
छपरा विधानसभा में वैश्य समुदाय की बड़ी आबादी है, जो भाजपा का पारंपरिक समर्थन आधार रहा है. यादव और मुस्लिम मतदाता राजद की तरफ झुकाव रखते हैं. इसके अलावा ब्राह्मण, राजपूत, कोइरी, कुशवाहा, पासवान, और अन्य अति पिछड़ी जातियों की उपस्थिति भी निर्णायक बन जाती है. कांग्रेस यहां ब्राह्मण और मुस्लिम वोटों को साधने की कोशिश करती रही है, लेकिन हाल के वर्षों में उसका प्रभाव काफी कम हुआ है.
2025 की रणनीति: भाजपा की सीट बचाने की चुनौती, विपक्ष की संयुक्त रणनीति बन सकती है मुश्किल
भाजपा की कोशिश रहेगी कि डॉ. सी. एन. गुप्ता को फिर से मैदान में उतारा जाए, क्योंकि उनकी पकड़ शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बनी हुई है. लेकिन विपक्ष खासकर राजद, इस बार यादव-मुस्लिम के साथ-साथ अति पिछड़े और युवाओं को साधने की रणनीति पर काम कर रहा है.
अगर राजद और कांग्रेस मिलकर किसी स्थानीय और लोकप्रिय चेहरे को टिकट देते हैं, तो मुकाबला त्रिकोणीय से सीधा द्वंद्व में बदल सकता है। वहीं जदयू इस सीट पर अपने पुराने जनाधार को पुनर्जीवित करने की कोशिश में है.
स्थानीय मुद्दे: स्मार्ट सिटी का वादा, लेकिन बुनियादी समस्याएं जस की तस
छपरा को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल किया गया था, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि आज भी ट्रैफिक जाम, खराब सड़कों, गंदगी, और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी जैसी समस्याएं लोगों को परेशान कर रही हैं. ग्रामीण इलाकों में बाढ़ प्रबंधन, सिंचाई सुविधा, और शिक्षा संस्थानों की स्थिति भी चिंताजनक है.
अगर विपक्ष इन मुद्दों को चुनावी विमर्श में लाने में सफल रहा, तो भाजपा के लिए राह आसान नहीं होगी.
भाजपा का किला मजबूत, लेकिन विपक्ष की सेंधमारी की कोशिशें तेज
छपरा विधानसभा सीट पर फिलहाल भाजपा का वर्चस्व स्पष्ट है, लेकिन 2025 का चुनाव कई कारणों से निर्णायक हो सकता है. जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दों की अनदेखी और विपक्ष की एकजुटता अगर एक साथ काम कर गई, तो यहां सियासी समीकरण बदलते देर नहीं लगेगी.
अब देखना यह है कि क्या डॉ. सी. एन. गुप्ता एक बार फिर से जीत की हैट्रिक लगाएंगे या छपरा एक नए जनादेश की ओर बढ़ेगा.