बछवाड़ा विधानसभा चुनाव 2025 (Bachhwara Assembly Election 2025)
बिहार की राजनीति में बछवाड़ा विधानसभा सीट एक महत्वपूर्ण कड़ी है. 2020 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस सीट पर जोरदार जीत हासिल की थी. लेकिन 2025 के चुनावों में तस्वीर कैसी बनेगी, यह फैसला अब जनता के हाथों में है.
बछवाड़ा विधानसभा सीट: जिले और क्षेत्र का परिचय(Bachhwara Assembly Election)
बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र बिहार के बेगूसराय जिले में आता है. यह इलाका सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से काफी सक्रिय माना जाता है. यहां का चुनावी मिजाज अक्सर पूरे जिले की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाता है. किसान, मजदूर, छोटे व्यापारी और मध्यम वर्ग यहां की राजनीति के प्रमुख आधार हैं.
2020 का जनादेश: कांटे की टक्कर में भाजपा का पलड़ा भारी(Bachhwara Assembly)
2020 के विधानसभा चुनाव में बछवाड़ा सीट पर कड़ी टक्कर देखने को मिली थी. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सुरेंद्र मेहता ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) के अवधेश कुमार राय को महज 484 वोटों के बेहद कम अंतर से हराया था. यह मुकाबला इतना करीबी था कि आखिरी राउंड तक स्थिति साफ नहीं हो सकी थी. उस चुनाव में बछवाड़ा में कुल 30.21 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था.
पिछले चुनावों का परिणाम(Bachhwara Vidhan Sabha)
2010 में CPI के नेता अवधेश कुमार राय ने 33,770 वोट के साथ जीत हासिल की थी. उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी अरविंद कुमार सिंह को 12,087 वोटों के अंतर से हराया था. 2015 में कांग्रेस के रामदेव राय ने 73,983 वोट के साथ LJP के अरविंद कुमार सिंह को हराया था. जीत का अंतर 36,931 वोटों का था.
इस बार की लड़ाई: बदलते समीकरण, नई रणनीतियां
2025 में बछवाड़ा का सियासी गणित थोड़ा अलग नजर आ रहा है. जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दे, सरकार के प्रदर्शन और विपक्ष की रणनीति सब मिलकर मुकाबले को और रोचक बना रहे हैं. भाजपा को जहां अपनी सत्ता बचाए रखने की चुनौती है, वहीं विपक्षी दल इस सीट को वापसी के बड़े मौके के तौर पर देख रहे हैं. कौन उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे, और किसकी रणनीति कारगर साबित होगी, इसका फैसला आने वाले दिनों में साफ होगा.
क्यों है बछवाड़ा सीट खास?
बेगूसराय जिले की राजनीति में बछवाड़ा का बड़ा असर.
ग्रामीण और अर्धशहरी मतदाताओं का दिलचस्प मिश्रण.
हमेशा कांटे के मुकाबलों का गवाह रहा है यह क्षेत्र.
सत्ताधारी और विपक्षी दोनों खेमों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई.