अमनौर विधानसभा चुनाव 2025 (Amnour Assembly Election 2025)
अमनौर विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण हावी रहे हैं. 2010 में जदयू ने जीत दर्ज की, 2015 में भाजपा ने पहली बार कब्जा किया और 2020 में भाजपा ने सीट बचाई. हर चुनाव में भाजपा और राजद के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला है.
सारण जिले की अमनौर विधानसभा सीट एक महत्वपूर्ण और राजनीतिक रूप से संवेदनशील सीट मानी जाती है. यहां मतदाताओं की संख्या 3.5 लाख से अधिक है. ब्राह्मण, भूमिहार, यादव, कुशवाहा, मुसलमान और दलित समुदायों का असर चुनावी गणित पर साफ देखा जाता है. यहां हर चुनाव में करीब 55-60% वोटिंग होती रही है.
2020: भाजपा ने सीट बचाई, राजद को कड़ी टक्कर(Amnour Assembly Election)
2020 में अमनौर सीट पर मुकाबला और दिलचस्प हो गया. इस बार भाजपा ने पूर्व जदयू विधायक कृष्णा कुमार मंटू को अपना प्रत्याशी बनाया और उन्होंने राजद के सुनील कुमार को 3,681 वोटों से हराकर सीट अपने पास रखी. यह चुनाव करीबी था, लेकिन एनडीए के एकजुट होने का फायदा भाजपा को मिला. वहीं महागठबंधन की ओर से राजद ने जोर लगाया, लेकिन विजय नहीं मिली.
2015: भाजपा के शत्रुघ्न तिवारी ने मारी बाज़ी, जदयू को झटका(Amnour Assembly)
2015 के विधानसभा चुनाव में अमनौर की सियासी फिज़ा बदल गई. NDA टूट चुका था और जदयू अब महागठबंधन का हिस्सा बन चुकी थी. ऐसे में भाजपा के शत्रुघ्न तिवारी ने चुनाव लड़ा और जदयू के पूर्व विधायक कृष्णा कुमार मंटू को 5,251 वोटों से हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की. यह जीत भाजपा के लिए इस सीट पर पहली थी और शत्रुघ्न तिवारी ने अपनी छवि को मजबूत किया.
2010: जदयू ने किया पहली बार कब्जा, निर्दलीय को दी शिकस्त(Amnour Vidhan Sabha)
2010 के विधानसभा चुनाव में अमनौर सीट से जदयू के कृष्णा कुमार मंटू ने पहली बार जीत दर्ज की। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी सुनील कुमार को 10,517 वोटों के बड़े अंतर से हराया। यह चुनाव खास इसलिए भी था क्योंकि इसमें चार प्रमुख उम्मीदवारों के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला। जदयू की यह जीत नीतीश कुमार की लोकप्रियता और सुशासन के नारे के दम पर मानी गई।