सिवान विधानसभा चुनाव 2025 (Siwan Assembly Election 2025)
1990 के दशक में सीवान का मतलब था शहाबुद्दीन. सपा से शुरुआत कर लालू यादव के आरजेडी में आए 'साहब' ने सीवान को अपनी जागीर बना लिया था. हत्या, अपहरण, गैंगवार राजनीति की चादर के नीचे सब चलता था. मगर 2005 के बाद जब नीतीश कुमार की सरकार बनी, तो साहब की ताकत धीरे-धीरे कम होने लगी.
2017 में शहाबुद्दीन की जेल में मौत के बाद एक वैक्यूम पैदा हुआ. उस वैक्यूम को भरने की कोशिश कई ‘छोटके डॉन’ कर रहे हैं कोई पूर्व मुखिया, कोई ज़मींदार तो कोई ठेकेदारी से निकला नया बाहुबली.
2020 सिवान विधानसभा(Siwan Assembly Election) में RJD की जीत, लेकिन 'नेताजी' के बिना...
2020 के विधानसभा चुनाव में RJD प्रत्याशी अवध बिहारी चौधरी ने बीजेपी के ओम प्रकाश यादव को हराया था. अवध बिहारी पुराने नेता हैं, 1990 से राजनीति में सक्रिय लेकिन सीवान की जनता जानती है कि असली ताकत अब उन ‘बाहरी’ चेहरों के पास है, जो अभी पर्दे के पीछे हैं लेकिन मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं.
अवध बिहारी चौधरी (राजद): 76,785
ओमप्रकाश यादव (भाजपा): 74,812
जमीन से लेकर जेल तक की सियासत(Siwan Vidhan Sabha)
सीवान में आज भी कई इलाकों में घर बनाने से पहले ‘सेटिंग’ करनी पड़ती है. कभी जेल में बैठकर इलाके का फैसला करने वाले ‘साहब’ की परंपरा अब जमीन के नए माफिया निभा रहे हैं. मीरगंज से लेकर दरौली तक हर बड़ा ठेका बिना ‘सहमति’ के पास नहीं होता.
2025 के लिए कौन होगा उम्मीदवार?
अंदरखाने की खबर ये है कि RJD में कुछ नए चेहरे टिकट की दौड़ में हैं. अवध बिहारी उम्रदराज हैं, और पार्टी अब युवा चेहरा चाहती है. चर्चा में एक नाम है—‘फैज़ल मियां’, जो कभी शहाबुद्दीन के ड्राइवर थे, आज करोड़ों की प्रॉपर्टी और ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक हैं. सोशल मीडिया पर ‘जनसेवक’ की छवि बना रहे हैं, लेकिन असल ताकत उनका 'साइलेंट नेटवर्क' है.
जातीय गणित—अब भी निर्णायक
सीवान में यादव, मुसलमान और भूमिहार तीन सबसे असरदार जातियां हैं. RJD को एम-वाई समीकरण का फायदा होता रहा है, लेकिन बीजेपी ने भूमिहार-पसमान्दा गठजोड़ पर काम किया है. अगर बाहुबली प्रत्याशी मैदान में आते हैं, तो मुस्लिम वोटों का बंटवारा भी संभव है.
पिछले तीन चुनाव का विश्लेषण:
2010: भाजपा के व्यासदेव प्रसाद ने राजद के अवध बिहारी चौधरी को 12,541 वोटों से हराया था. व्यासदेव प्रसाद को 51,637 वोट प्राप्त हुए थे वहीं अवध बिहारी चौधरी को 39,096 वोट मिले थे.
2015: भाजपा के व्यासदेव प्रसाद ने जदयू के बबलू प्रसाद को हराया. व्यासदेव प्रसाद को 55,156 वोट मिले थे वहीं जदयू के बाबलू प्रसाद को 51,162 वोट प्राप्त हुए थे.
2020: अवध बिहारी चौधरी (RJD) ने ओम प्रकाश यादव (BJP) को हराया
हर चुनाव में मुकाबला BJP और RJD के बीच ही रहा, लेकिन जीत-हार का फासला कम-ज्यादा होता रहा.
चुनाव से पहले 'क्लीन अप ड्राइव'?
अभी हाल ही में सीवान पुलिस ने कई पुरानी फाइलें खोलनी शुरू की हैं. पूर्व में जिन अपराधियों पर केस ठंडे बस्ते में थे, उन्हें फिर से उठाया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, यह सरकार की ‘क्लीन अप ड्राइव’ है ताकि चुनाव से पहले RJD के कैंडिडेट्स और फाइनेंसरों को बैकफुट पर लाया जा सके.
क्या फिर लौटेगा ‘जंगलराज’ का भय?
सीवान की सड़कों पर अब भी यह सवाल गूंजता है—"क्या फिर लौटेगा जंगलराज?" लोग कहते हैं, "अगर बाहुबली खुलकर मैदान में आए, तो सीवान फिर से 90 के दशक में लौट सकता है." यही डर RJD के लिए चुनौती बन सकता है. सीवान की राजनीति सिर्फ वोटों का गणित नहीं, बल्कि बंदूक, बिरादरी और भय का समीकरण है. यहां अगला चुनाव ये तय करेगा कि क्या सीवान फिर से किसी 'साहब' के कब्जे में जाएगा या लोकतंत्र की असली जीत होगी?