परसा विधानसभा चुनाव 2025 (Parsa Assembly Election 2025)
बिहार के सारण जिले की परसा विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टि से एक अहम और दिलचस्प क्षेत्र मानी जाती है. यह सीट कभी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की मजबूत पकड़ में थी, लेकिन पिछले कुछ चुनावों में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने इसे अपने पक्ष में कर लिया. अब जब 2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, तो इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले के संकेत मिलने लगे हैं, जिसमें जदयू, राजद और भाजपा तीनों ही गंभीर दावेदार बनकर उभर रहे हैं.
मतदाता संख्या और मतदान का रुझान(Parsa Assembly Election)
परसा विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या करीब 3.10 लाख के आसपास है, जिसमें पुरुष मतदाता लगभग 1.65 लाख और महिला मतदाता 1.45 लाख हैं. यह सीट अर्ध-ग्रामीण क्षेत्र में आती है, जहां मतदान प्रतिशत 52% से 58% के बीच रहता है. यहां जातीय समीकरणों का असर गहराई से देखने को मिलता है, हालांकि युवा मतदाता अब विकास और रोजगार जैसे मुद्दों की ओर झुकते दिख रहे हैं.
राजनीतिक इतिहास: लालू युग से नीतीश की ओर झुकी परसा, भाजपा अब तीसरी शक्ति के रूप में उभर रही
2010:
जदयू के छोटेलाल राय ने इस सीट पर निर्णायक जीत हासिल की. उन्हें 44,828 वोट प्राप्त हुए थे. वहीं राजद के चंद्रिका राय को 40, 139 वोट प्राप्त हुए.
2015:
राजद प्रत्याशी चंद्रिका राय ने 77,211 वोटों के साथ जीत दर्ज की. उस समय एनडीए के खिलाफ वोटों का ध्रुवीकरण हुआ था.वहीं लोजपा के छोटेलाल राय को 34,876 वोट प्राप्त हुए थे.
2020:
राजद के छोटे लाल राय ने 17,293 वोटों के अंतर से जेडीयू के चंद्रिका राय को हराया.छोटेलाल राय को 68,316 वोट प्राप्त हुए थे. वहीं चंद्रिका राय को 51,023 वोट मिले थे.
जातीय समीकरण: यादव, भूमिहार और वैश्य मतदाता बना सकते हैं खेल
परसा में यादव समुदाय की बड़ी उपस्थिति है, जो पारंपरिक रूप से राजद का वोटबैंक रहा है. इसके साथ भूमिहार, वैश्य और कुशवाहा मतदाताओं की भी निर्णायक भूमिका रहती है. जदयू को कुशवाहा और अति पिछड़ी जातियों का समर्थन मिलता रहा है, जबकि भाजपा वैश्य और उच्च जातियों को अपने साथ जोड़ने में प्रयासरत है.
इसके अलावा मुसलमान मतदाता भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो राजद के साथ बड़े पैमाने पर जुड़े रहते हैं. 2020 में इन जातीय समीकरणों के चलते राजद बहुत करीबी अंतर से हार गया था.
2025 की रणनीति: क्या चंद्रमा सिंह को रिपीट करेगी जदयू या बदलेगी चेहरा?
2025 में जदयू के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह फिर से चंद्रमा सिंह को उम्मीदवार बनाएगी, जिनकी उम्र और सक्रियता पर सवाल उठने लगे हैं, या कोई नया, युवा और स्थानीय चेहरा सामने लाएगी?
वहीं राजद के लिए छोटे लाल राय अब भी प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. अगर उन्हें फिर से टिकट मिलता है, तो वे पिछली हार का बदला लेने को तैयार दिख रहे हैं.
भाजपा अब तक परसा में तीसरे स्थान पर रही है, लेकिन इस बार अगर जदयू से सीट की अदला-बदली हुई, तो वह इस पर पूरी ताकत से चुनाव लड़ सकती है.
स्थानीय मुद्दे: बुनियादी सुविधाओं की कमी, शिक्षा और स्वास्थ्य सबसे बड़े सवाल
परसा में आज भी ग्रामीण सड़कों की हालत खराब है. नहरों की सफाई और सिंचाई की सुविधा सीमित है. प्राइमरी हेल्थ सेंटर की स्थिति जर्जर है और अच्छे स्कूल या कॉलेज की भारी कमी है.
बेरोजगारी, युवाओं का पलायन और स्थानीय उद्योगों का अभाव यहां के बड़े मुद्दे हैं. अगर विपक्ष इन मसलों को ठीक से उठाता है, तो जदयू को कड़ी चुनौती मिल सकती है.
हल्की सी लहर भी बदल सकती है समीकरण(Parsa Vidhan Sabha)
परसा विधानसभा सीट पर मुकाबला बेहद रोचक होने वाला है. भले ही जदयू का वर्चस्व यहां कायम रहा हो, लेकिन अब की परिस्थितियां बदल चुकी हैं. राजद एकबार फिर ताकत से मैदान में है, और भाजपा की रणनीतिक एंट्री समीकरणों को उलट सकती है.