जमुई विधानसभा चुनाव 2025 (Jamui Assembly Election 2025)
Jamui Vidhan Sabha Chunav 2025
जमुई: 2020 में भाजपा प्रत्याशी और अंतरराष्ट्रीय शूटर श्रेयसी सिंह ने पहली ही पारी में धमाकेदार एंट्री करते हुए आरजेडी के मजबूत नेता विजय प्रकाश यादव को 41,000 से अधिक वोटों से हराया था. इस सीट पर करीब 2.91 लाख मतदाता हैं. इनमें यादव, मुस्लिम और राजपूत वोट निर्णायक भूमिका में रहते हैं.
जमुई (बिहार): बिहार की राजनीति में जमुई विधानसभा सीट हमेशा से रणनीतिक रूप से अहम रही है. जातीय समीकरण, सामाजिक मुद्दे और राजनीतिक दिग्गजों की मौजूदगी इस सीट को हर चुनाव में चर्चा के केंद्र में रखती है. 2020 में भाजपा प्रत्याशी और अंतरराष्ट्रीय शूटर श्रेयसी सिंह ने पहली ही पारी में धमाकेदार एंट्री करते हुए आरजेडी के मजबूत नेता विजय प्रकाश यादव को 41,000 से अधिक वोटों से हराया था.
करीब 3 लाख है मतदाता
इस सीट पर करीब 2.91 लाख मतदाता हैं. इनमें यादव, मुस्लिम और राजपूत वोट निर्णायक भूमिका में रहते हैं. साथ ही अनुसूचित जाति की आबादी भी 19% के करीब है, जो हर बार चुनावी परिणामों में अहम प्रभाव डालती है.
श्रेयसी सिंह की जीत ने भाजपा को नई जमीन दी
श्रेयसी सिंह की जीत ने भाजपा को इस इलाके में नई राजनीतिक जमीन दी है, वहीं आरजेडी अब अपने परंपरागत वोट बैंक की वापसी के लिए पूरी ताकत झोंक रही है. स्थानीय स्तर पर बेरोजगारी, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दे प्रमुख हैं. जनता अब वादों से आगे बढ़कर ठोस काम की अपेक्षा रखती है.
2025 में फिर से हॉट सीट बनने वाली है यह सीट
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो 2025 में यह सीट फिर से हॉट सीट बनने वाली है. भाजपा को श्रेयसी की लोकप्रियता और केंद्र की योजनाओं का फायदा मिल सकता है, लेकिन आरजेडी जातीय संतुलन साधकर और विजय प्रकाश को फिर से फ्रंट पर लाकर मुकाबले को रोचक बना सकती है. इतिहास पर नजर डालें तो जमुई सीट ने कई बार सत्ता परिवर्तन देखा है. 1957 में कांग्रेस और CPI का दबदबा रहा, 80 के दशक में निर्दलीयों की जीत दिखी और 2000 के बाद से जेडीयू, आरजेडी और अब भाजपा के बीच मुकाबला होता रहा है.
सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और बेरोजगारी अहम मुद्दा
2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर क्षेत्र में हलचल तेज़ है. भाजपा जहां विकास और श्रेयसी सिंह की लोकप्रियता को भुनाने की कोशिश में है, वहीं आरजेडी अपने खोए गढ़ को दोबारा पाने के लिए नए सिरे से रणनीति बना रही है. स्थानीय मुद्दे जैसे सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और बेरोजगारी जनता के लिए अब सिर्फ वादे नहीं, बल्कि अपेक्षाएं बन चुकी हैं.