आलमनगर विधानसभा चुनाव 2025 (Alamnagar Assembly Election 2025)
आलमनगर विधानसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास कांग्रेस पार्टी के प्रभुत्व से शुरू होता है. 1951 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के तनुक लाल यादव ने यहां से जीत हासिल की थी. इसके बाद, 1957 से लेकर 1972 तक कांग्रेस पार्टी का इस सीट पर वर्चस्व रहा. इस दौरान यदुनंदन झा और विद्याकर कवि जैसे नेताओं ने लगातार जीत दर्ज की. 1977 में हुए चुनाव में वीरेंद्र कुमार सिंह ने जनता पार्टी (जेएनपी) के टिकट पर कांग्रेस के प्रभुत्व को चुनौती दी और जीत हासिल की. इसके बाद से इस सीट पर राजनीतिक समीकरण बदलते रहे, जिसमें विभिन्न दलों के नेताओं ने अपनी किस्मत आजमाई.
पिछले तीन चुनावों के परिणाम:
2020 में आलमनगर विधानसभा चुनाव (Alamnagar Assembly Election)
विजेता: नरेंद्र नारायण यादव (जदयू) – 102,517 वोट (49.23%)
उम्मीदवार: नबीन कुमार (राजद) – 73,837 वोट (35.46%)
अन्य: सुनीला देवी (एलजेपी) – 9,287 वोट (4.46%)
वोट प्रतिशत: कुल 48.17% मतदान हुआ था.
विजेता का मार्जिन: नरेंद्र नारायण यादव ने नबीन कुमार को 28,680 वोटों के अंतर से हराया.
2015 में आलमनगर विधानसभा चुनाव: (Alamnagar Assembly)
विजेता: नरेंद्र नारायण यादव (जदयू) – 87,962 वोट (45.73%)
उम्मीदवार: चंदन सिंह (एलजेपी) – 44,086 वोट (22.92%)
अन्य: शशि भूषण सिंह (निर्दलीय) – 18,919 वोट (9.84%)
वोट प्रतिशत: कुल 61.96% मतदान हुआ था.
विजेता का मार्जिन: नरेंद्र नारायण यादव ने चंदन सिंह को 43,876 वोटों के अंतर से हराया.
2010 में आलमनगर विधानसभा चुनाव: (Alamnagar Vidhan Sabha)
विजेता: नरेंद्र नारायण यादव (जदयू) – 64,967 वोट
उम्मीदवार: लवली आनंद (कांग्रेस) – 22,622 वोट
वोट प्रतिशत: कुल 42% मतदान हुआ था.
विजेता का मार्जिन: नरेंद्र नारायण यादव ने लवली आनंद को 42,345 वोटों के अंतर से हराया.
जातीय और राजनीतिक समीकरण
आलमनगर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 3.13 लाख मतदाता हैं, जिनमें 52% पुरुष और 48% महिलाएं हैं. इस क्षेत्र में यादव, मुस्लिम और राजपूत जातियों की महत्वपूर्ण उपस्थिति है, जो चुनावी परिणामों पर प्रभाव डालती हैं. जदयू के लिए यह सीट एक मजबूत गढ़ बन चुकी है, जबकि राजद और एलजेपी जैसे दल भी यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रहे हैं.
निष्कर्ष
आलमनगर विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास दर्शाता है कि यहां राजनीतिक समीकरण समय-समय पर बदलते रहे हैं. हालांकि, नरेंद्र नारायण यादव की लगातार जीत ने जदयू को इस सीट पर मजबूत स्थिति में रखा है. आगामी चुनावों में अन्य दलों के नेताओं की रणनीतियों और मतदाताओं के बदलते रुझानों के आधार पर इस सीट पर नए समीकरण उभर सकते हैं.