कहलगांव विधानसभा चुनाव 2025 (Kahalgaon Assembly Election 2025)
कहलगांव विधानसभा सीट भागलपुर लोकसभा के अंतर्गत आता है. इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा अधिक रहा है. कम्युनिष्ट पार्टी के उम्मीदवार ने भी यहां जीत का स्वाद चखा है. पहली बार भाजपा ने इस सीट पर पिछले चुनाव में जीत हासिल की तो रिकॉर्ड वोट हासिल हुए. इस विधानसभा में 3 लाख 73 हजार से अधिक मतदाता हैं. पुरुष मतदाताओं की संख्या महिला वोटरों की तुलना में थोड़ी अधिक है.
सदानंद सिंह का गढ़ रहा कहलगांव(Kahalgaon Assembly Election)
कांग्रेस के कद्दावर नेता और विधानसभा के अध्यक्ष रहे दिवंगत नेता सदानंद सिंह यहां के चर्चित विधायक रहे. कहलगांव सीट से सदानंद सिंह ने 9 बार चुनाव जीता. एकबार निर्दलीय उम्मीदवार बनकर भी सदानंद सिंह जीते. वर्तमान में इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है.
जब सदानंद सिंह हारे, वर्तमान सांसद ने दी थी पटखनी(Kahalgaon Vidhan Sabha)
2005 के चुनाव में जदयू के अजय मंडल ने कांग्रेस के सदानंद सिंह को हराकर बड़ा उलटफेर किया था. यह चुनाव परिणाम सुर्खियों में रहा था. अजय मंडल वर्तमान में भागलपुर के सांसद हैं. उन्होंने जदयू की तरफ से दो बार लोकसभा चुनाव जीता है. सदानंद सिंह ने 2010 के चुनाव में वापसी की और फिर से कहलगांव से विधायक बने. 2015 में भी सदानंद सिंह ही जीते.
भाजपा को मिली पहली जीत तो बना रिकॉर्ड, सदानंद के बेटे को मिली हार
2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पवन यादव को प्रत्याशी बनाया जो 2015 में निर्दलीय प्रत्याशी बनकर मैदान में कूदे थे और सम्मानजनक वोट पाकर सबको चौंकाया था. भाजपा ने टिकट थमाया तो पवन यादव ने प्रचंड जीत हासिल की. उनके सामने उम्मीदवार थे वामदल के प्रत्याशी शुभानंद मुकेश. जो सदानंद सिंह के पुत्र हैं. सदानंद सिंह ने अपनी राजनीतिक विरासत शुभानंद को थमायी थी. लेकिन भाजपा ने उन्हें हराकर अपना झंडा इस सीट पर गाड़ा.
महागठबंधन के उम्मीदवार अब जदयू में, कौन बनेगा प्रत्याशी?
पिछले चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवार रहे शुभानंद मुकेश अब जदयू में शामिल हो चुके हैं. इसबार महागठबंधन की तरफ से यह सीट किसके खाते में जाएगी, यह भविष्य तय करेगा. जबकि सदानंद सिंह के पुत्र जदयू में शामिल हुए तो उनका भविष्य क्या होगा, यह भी इस चुनाव में तय होगा. सीट शेयरिंग को लेकर भी कई तरह के कयास लग रहे हैं.