सिकटा विधानसभा चुनाव 2025 (Sikta Assembly Election 2025)
सिकटा विधानसभा सीट पर यादव और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. इसी कारण इस सीट पर महागठबंधन का दबदबा बना रहता है. रविदास, कोइरी और ब्राह्मण जातियां भी प्रत्याशी के जीत हार में अहम भूमिका अदा करते हैं.
बिहार में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. राजनीतिक पार्टियां अपने सियासी समीकरण बना और बदल रही हैं. बिहार की सिकटा विधानसभा सीट पर कई लोग अपनी दावेदारी प्रस्तुत करने में लगे हैं. लेकिन इस दफा भी मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच होने की संभवाना है. वर्ष 2020 में इस सीट पर JDU ने अपने 2015 के मौजूदा विधायक खुर्शीद अहमद को टिकट दिया था. लेकिन भाकपा (माले) के प्रत्याशी वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने खुर्शीद अहमद को पराजित कर यह सीट अपने नाम कर लिया था.2025 में इस सीट पर कौन मारेगा बाजी यह कहना अभी जल्दबाजी होगी.
सिकटा विधानसभा (Sikta Assembly) सीट का इतिहास
बिहार की सिकटा विधानसभा सीट पश्चिम चंपारण जिले में है.2010 के विधानसभा चुनाव में खुर्शीद अहमद ने पांच बार के विधायक दिलीप वर्मा को पराजित कर यह सीट अपने नाम किया था. इसके बाद खुर्शीद दूसरी बार 2015 में सिकटा से विधायक चुने गए थे. 1962 में स्वतंत्र पार्टी ने चुनाव जीता था. 1980 में जनता पार्टी (जेपी) और 1985 में जनता पार्टी ने चुनाव में जीत हासिल की थी.
1990 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी फैयाजुल आजम ने जीत हासिल की थी. लेकिन 1991 के उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी दिलीप वर्मा ने इस सीट पर पहली बात जीत हासिल की थी.1995 में चंपारण विकास पार्टी, 2000 भारतीय जनता पार्टी, फरवरी 2005 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर और 2010 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दिलीप चुनाव जीतते रहे.
जातीय समीकरण
सिकटा विधानसभा सीट पर यादव और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. इसके अलावा रविदास, कोइरी और ब्राह्मण जातियां भी यहां बड़ी भूमिका में हैं.