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केसरिया विधान सभा चुनाव 2025
(Kesaria Vidhan Sabha Chunav 2025)
केसरिया विधानसभा: बिहार के दिल में बसी राजनीति की जंग और बौद्ध धरोहर
केसरिया विधानसभा चुनाव परिणाम
2020
2015
2010
CANDIDATE NAME | PARTY | VOTES |
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केसरिया विधान सभा चुनाव से जुडी जानकारी
चुनावों में केसरिया की राजनीति में क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा. क्या यहां फिर से कोई नई पार्टी उभरेगी, या फिर पुराने समीकरण अपने ही तरीके से काम करेंगे? एक बात तो साफ है कि केसरिया की राजनीति उतनी ही रोमांचक है जितनी इसकी ऐतिहासिक धरोहर.
बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में स्थित केसरिया विधानसभा क्षेत्र, जहां राजनीति और इतिहास दोनों का दिलचस्प संगम देखने को मिलता है. यह क्षेत्र न सिर्फ अपनी ऐतिहासिक धरोहर, खासकर बौद्ध स्तूप के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां की राजनीति भी उतनी ही रोमांचक और दिलचस्प है. आइए, जानते हैं इस क्षेत्र के बारे में कुछ मजेदार और अनोखी बातें, जिनसे इसकी राजनीति और समाज को समझा जा सकता है. यदि आप बिहार की राजनीति और इतिहास को एक साथ समझना चाहते हैं, तो केसरिया विधानसभा क्षेत्र एक बेहतरीन उदाहरण है, जहां हर चुनाव एक नई कहानी, एक नया मोड़ लेकर आता है!
बौद्ध स्तूप का इतिहास और राजनीति का पॉलिटिक्स
केसरिया विधानसभा क्षेत्र का इतिहास बौद्ध धर्म के साथ गहरे जुड़ा हुआ है. यहां का बौद्ध स्तूप दुनिया का सबसे ऊंचा बौद्ध स्तूप माना जाता है, जो न केवल पर्यटकों को आकर्षित करता है, बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है. लेकिन इस क्षेत्र की राजनीति की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है. यहां राजनीतिक लहरें भी उतनी ही ऊंची-नीची होती हैं, जितनी बौद्ध स्तूप की ऊंचाई!
जदयू और राजद के बीच सियासी टकराव
हाल के वर्षों में केसरिया विधानसभा में सबसे रोमांचक मुकाबला देखा गया. 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू की शालिनी मिश्रा ने राजद के संतोष कुशवाहा को हराया. यह चुनाव एक सशक्त और कड़ा मुकाबला था, जिसमें महागठबंधन और एनडीए के बीच सियासी घमासान देखने को मिला. वोटों का अंतर महज 10,628 था, और यही वो आंकड़ा था जिसने इस क्षेत्र की सियासत में हलचल मचा दी.
2015 का राजद का कब्जा
2015 में राजद के डॉ. राजेश कुमार ने भाजपा के सचिन कुमार को हराकर जीत दर्ज की. उस समय यह चुनाव क्षेत्र में एक मोड़ था, क्योंकि राजद की पार्टी के लिए यह जीत प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई थी. यह चुनाव साबित करता है कि बिहार की राजनीति में सब कुछ संभव है. कभी जदयू तो कभी राजद!
2010: भाजपा का मजबूत किला
2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार सचिन कुमार ने राजद के डॉ. राजेश कुमार को शिकस्त दी. यह चुनाव भाजपा के लिए एक बड़ी जीत साबित हुआ, क्योंकि उन्होंने यहां राजद के मजबूत गढ़ को ढहाया. भाजपा के लिए केसरिया विधानसभा में यह जीत बहुत मायने रखती थी, क्योंकि यहां उनकी पार्टी का प्रभाव बढ़ रहा था.
क्या है केसरिया के चुनावी समीकरण का राज?
केसरिया विधानसभा क्षेत्र के चुनावी समीकरण एक रहस्य से कम नहीं. यहां के लोग किसी विशेष पार्टी के प्रति उतने प्रतिबद्ध नहीं होते जितना कि हर चुनाव के परिणाम से अंदाजा लगाया जा सकता है. एक चुनाव में राजद और दूसरी में भाजपा, तो तीसरे में जदयू की जीत यह दर्शाता है कि इस क्षेत्र में वोटर सटीक विचार और उम्मीदों के आधार पर अपना चुनावी फैसला लेते हैं.