भागलपुर विधानसभा चुनाव 2025 (Bhagalpur Assembly Election 2025)
भागलपुर विधानसभा: कभी भाजपा का गढ़ रहा, 2014 उपचुनाव से लगातार पछाड़ रही कांग्रेस
भागलपुर लोकसभा के अंतर्गत 6 विधानसभा सीट है जिसमें एक है भागलपुर विधानसभा. इस विधानसभा में 3 लाख से अधिक मतदाता हैं. हालांकि विधानसभा चुनाव में 50 प्रतिशत के आसपास ही वोटिंग यहां होती रही है. यहां वोटरों की कुल संख्या 352624 है. जिसमें पुरुष मतदाता 178618 हैं जबकि 173978 महिला मतदाताएं हैं. अन्य 28 वोटर भी शामिल हैं.
हॉट सीट है भागलपुर, भाजपा-कांग्रेस दोनों का रहा गढ़( Bhagalpur Assembly Election)
भागलपुर विधानसभा बिहार की हॉट सीट मानी जाती है. भागलपुर को भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है लेकिन पिछले कुछ चुनावों में भाजपा को यहां हार का सामना करना पड़ा है. आजादी के बाद से भागलपुर विधानसभा में कांग्रेस, जनसंघ, जनता पार्टी, कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों ने इस सीट पर जीत हासिल की है.
अश्विनी चौबे 5 बार जीते(Bhagalpur Vidhan Sabha)
भाजपा के कद्दावर नेता अश्विनी कुमार चौबे 5 बार इस सीट से जीत चुके हैं. अश्विनी चौबे सांसद बने तो इस सीट पर उपचुनाव हुए. उसके बाद से कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा है. 1995 से 2014 तक अश्विनी चौबे यहां से जीतकर विधायक बने और नीतीश सरकार में अलग-अलग विभागों के मंत्री बनाए जाते रहे.
अश्विनी चौबे सांसद बने, उपचुनाव से लगातार हार रही भाजपा
तत्कालीन विधायक अश्विनी चौबे बक्सर से सांसद बने तो 2014 में भागलपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ. इस चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी नभय कुमार चौधरी थे. कांग्रेस के प्रत्याशी अजीत शर्मा बने. अजीत शर्मा ने इस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी को बड़े अंतराल से हराया. जिसके बाद भागलपुर सीट पर लंबे अरसे बाद कांग्रेस की वापसी हुई.
भाजपा से बगावत कर निर्दलीय उतरे विजय साह, अश्विनी चौबे के पुत्र हारे चुनाव
भागलपुर विधानसभा सीट पर 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से अजीत शर्मा तो भाजपा की ओर से प्रत्याशी बनाए गए अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित चौबे के बीच सीधी टक्कर हुई. इस चुनाव में भाजपा की हार हुई और अजीत शर्मा फिर से विधायक बने. अजीत शर्मा को इस चुनाव में 70,514 वोट मिले थे जबकि भाजपा के अर्जित चौबे को 59,856 वोटों से संतोष करना पड़ा था. इस चुनाव में भाजपा के सक्रिय नेता रहे विजय साह ने पार्टी से बगावत करके निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था. उन्हें 15,212 वोट हासिल हुआ था. चर्चा रही कि विजय शाह को मिले वोटों ने भी भाजपा का नुकसान किया. विजय शाह अब फिर से भाजपा में वापस लौटे हैं.
चिराग ने प्रत्याशी उतारा, पिछले चुनाव में कांग्रेस से हारी भाजपा
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में भाजपा ने अर्जित का टिकट काटकर इसबार तत्कालीन जिलाध्यक्ष रोहित पांडेय को प्रत्याशी बनाया. इस चुनाव में रोहित पांडेय बेहद कम अंतराल से चुनाव हार गए. इसबार भी अजीत शर्मा की जीत हुई. अबतक कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा है. अजीत शर्मा को 65502 तो रोहित पांडेय को 64389 वोट मिले थे. इस चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी लोजपा ने पूर्व डिप्टी मेयर राजेश वर्मा (वर्तमान खगड़िया सांसद) को लोजपा (रामविलास) से मैदान में उतारा था. राजेश वर्मा ने 20523 वोट लाए थे. तब यहां भाजपा की हार में लोजपा (रामविलास) की ओर से प्रत्याशी देना भी एक वजह माना गया था.
मुस्लिम वोटरों की भी रहती है बड़ी भूमिका
भागलपुर विधानसभा में मुस्लिम वोटरों की भी संख्या सबसे अधिक है.जो मजबूती से अपने वोटों के जरिए इस सीट पर हार-जीत तय करते हैं. उसके बाद वैश्य मतदाताओं की संख्या है. ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार, दलित, कुशवाहा, गंगौता, यादव समेत अन्य जातियों की भी हिस्सेदारी रहती है.
इसबार चुनाव को लेकर क्या है माहौल
भागलपुर विधानसभा सीट पर एनडीए में जदयू और भाजपा दोनों की नजर इसबार है. जदयू ने भी खुलकर दावेदारी ठोकी है. हालांकि सीट शेयरिंग में भागलपुर सीट भाजपा के खाते में रहने की अधिक संभावना है. भाजपा यहां पूरी तरह एक्टिव हो चुकी है. इसबार भाजपा किसे टिकट देगी, इसपर संशय बना हुआ है. भाजपा के कुछ सीनियर नेता भी यहां से भाग्य आजमाने के चक्कर में सक्रिय दिख रहे हैं. महागठबंधन में कांग्रेस और राजद में किसी एक दल के खाते में यह सीट जा सकती है. हालांकि कांग्रेस लगातार इस सीट पर जीत रही है, इसलिए कांग्रेस के खाते में सीट जाने की संभावना अधिक है. कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा इसबार लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवार थे. उनकी हार हुई तो राजद की नजर भी इस सीट पर है. राजद ने भागलपुर का लोकसभा चुनाव 2014 में जीता था. प्रचंड मोदी लहर में मिली जीत से राजद यहां लगातार उम्मीद बनाए रहती है.