दीघा विधानसभा चुनाव 2025 (Digha Assembly Election 2025)
Digha Vidhan Sabha सीट पर यादव, राजपूत, कोइरी, भूमिहार, ब्राह्मण, कुर्मी की अहम भूमिका हैं. लेकिन इस विधानसभा सीट पर महिला वोटरों की भूमिका अहम मानी जाती है.
पटना जिले की दीघा विधानसभा सीट 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया. परिसीमन के बाद हुए इस सीट पर 2010 में सबसे पहले चुनाव हुआ था. इस चुनाव का परिणाम जदयू (JDU) के खाते में गई थी.लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में BJP ने इस सीट को JDU से छीन लिया. 2015 के चुनाव में BJP प्रत्याशी संजीव चौरसिया ने JDU के राजीव रंजन प्रसाद को 24,779 वोटों से हराया था.
दीघा विधानसभा सीट पर बीजेपी का दबदबा(Digha Vidhan Sabha)
इसके बाद संजीव चौरसिया इस सीट पर 2020 में भी जीतकर अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा. संजीव चौरसिया ने सीपीआई माले (CPI ML) प्रत्याशी शशि यादव को पराजित किया था. 2010 में हुए यहां पहली बार हुए चुनाव में JDU की पूनम देवी जीती थीं. दीघा सीट शहरी मतदाताओं की वजह से यहां पर बीजेपी का दबदबा दिखता है.
दीघा विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण(Digha Assembly Election)
इस विधानसभा सीट पर यादव राजपूत, कोइरी, भूमिहार, ब्राह्मण, कुर्मी अहम भूमिका में हैं. साथ ही महिला वोटरों की भूमिका भी अहम मानी जाती है. महिला वोटरों का होना JDU, BJP को इस चुनाव में विजयी बना सकता है. अब तक दीघा विधानसभा सीट पर दो बार चुनाव हुए हैं. इस दौरान सबससे ज्यादा मतदान साल 2015 में हुआ था. इस दौरान पुरुषों ने 44.2 और महिलाओं ने 39.3 प्रतिशत मतदान किया था.