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गोरेयाकोठी विधानसभा चुनाव 2025
(Goreyakothi Vidhan Sabha Chunav 2025)
सिवान लोकसभा के अंतर्गत आने वाली गोरियाकोठी विधानसभा सीट पिछले कुछ चुनावों से जनता दल यूनाइटेड (JDU) का मजबूत गढ़ रही है. यहां के राजनीतिक समीकरण में भूमिहार, यादव और मुस्लिम मतदाताओं की निर्णायक भूमिका रही है. जातीय संतुलन और संगठनात्मक मजबूती के दम पर जदयू ने इस सीट पर लगातार प्रदर्शन किया है, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं.
गोरेयाकोठी विधानसभा चुनाव परिणाम
2020
2015
2010
CANDIDATE NAME | PARTY | VOTES |
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गोरेयाकोठी विधान सभा चुनाव से जुडी जानकारी
गोरियाकोठी विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 3,14,000 के आसपास है. इसमें पुरुष मतदाता करीब 1.63 लाख, महिला मतदाता 1.51 लाख हैं. आमतौर पर यहां 50-55% के बीच मतदान दर्ज किया गया है. गांव-प्रधान इस क्षेत्र में मतदाता काफी सजग हैं और स्थानीय मुद्दों पर वोट डालने की प्रवृत्ति दिखाते हैं.
राजनीतिक इतिहास: जदयू की लगातार पकड़, लेकिन टक्कर में रहे हैं भाजपा-राजद
2010 के चुनाव में भाजपा के भूमेंद्र नारायण सिंह ने राजद के इंद्रदेव प्रसाद को हराया था. उन्हें 42,533 वोट मिले थे, जबकि राजद उम्मीदवार को 28,512 वोट मिले. यह भाजपा के लिए इस सीट पर एक निर्णायक शुरुआत थी.
2015 में जब राज्य में महागठबंधन (राजद-जदयू-कांग्रेस) बना, तो राजद के सत्यदेव प्रसाद सिंह गठबंधन उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और फिर से देवेश कांत सिंह (भाजपा) को हराया. उन्हें 70,965 वोट मिले जबकि भाजपा प्रत्याशी को 63,314 वोट मिले.
2020 में भाजपा के देवेश कांत सिंह ने राजद के नूतन देवी को हराया।
देवेश कांत सिंह (बीजेपी): 87,368 वोट
नूतन देवी (राजद): 75,474 वोट
इससे स्पष्ट है कि मुकाबला अब कड़ा हो चला है, और भाजपा ने यहां अपनी स्थिति को काफी मजबूत किया है.
जातीय समीकरण: यादव, भूमिहार और मुस्लिम मतदाता रखते हैं बड़ी भूमिका
गोरियाकोठी में सबसे ज्यादा प्रभावशाली जातियों में यादव, भूमिहार और मुस्लिम मतदाता शामिल हैं. यादव मतदाता परंपरागत रूप से राजद के समर्थक रहे हैं, लेकिन रामानुज प्रसाद यादव ने जदयू में रहकर भी इस वर्ग का विश्वास बनाए रखा. भूमिहार मतदाता भाजपा की ओर झुके हुए माने जाते हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता राजद और जदयू दोनों में बंटे हुए हैं. इसके अलावा राजपूत, कुशवाहा, धोबी, चमार, पासवान, नाई, तेली और अन्य अति पिछड़ा वर्ग भी अहम भूमिका निभाता है.
2025 की रणनीति: जदयू को दोहरी चुनौती
2025 के चुनाव में जदयू को दो मोर्चों पर लड़ना होगा. एक तरफ भाजपा के बढ़ते जनाधार से मुकाबला करना है, वहीं दूसरी तरफ अगर महागठबंधन में सीट शेयरिंग हुई और यह सीट राजद के खाते में चली गई, तो यादव-मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण रामानुज प्रसाद के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है.
भाजपा इस बार स्थानीय भूमिहार या पिछड़ा वर्ग से आने वाले मजबूत चेहरे को मैदान में उतार सकती है. वहीं राजद भी यादव-मुस्लिम समीकरण के भरोसे इस सीट को फिर से अपने कब्जे में लाने की रणनीति बना रहा है.
स्थानीय मुद्दे: विकास बनाम जाति
गोरियाकोठी में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दे सबसे अहम हैं. क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में सड़कों की जर्जर स्थिति, स्वास्थ्य उपकेंद्रों की कमी और युवाओं के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के अभाव जैसे मसले वोटरों के बीच चर्चा में रहते हैं.
2025 का चुनाव जातीय आधार पर तो लड़ा ही जाएगा, लेकिन जो दल इन स्थानीय मुद्दों को सही ढंग से उठाएगा, उसे जनसमर्थन मिलने की संभावना अधिक रहेगी.
गोरियाकोठी में जदयू अब भी आगे, लेकिन चुनौती बढ़ती जा रही है
गोरियाकोठी विधानसभा में फिलहाल जदयू के रामानुज प्रसाद यादव मजबूत स्थिति में हैं, लेकिन भाजपा के लगातार अच्छे प्रदर्शन और राजद के यादव-मुस्लिम समीकरण को साधने की कोशिशों से चुनाव दिलचस्प हो चुका है. 2025 का चुनाव यह तय करेगा कि क्या रामानुज यादव चौथी बार भी जीत दर्ज करेंगे या यहां नई लहर उठेगी