ओबरा विधानसभा चुनाव 2025 (Obra Assembly Election 2025)
Obra Vidhan Sabha Chunav 2025
बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित ओबरा विधानसभा क्षेत्र राज्य की राजनीति का एक ऐसा केंद्र बन चुका है, जहां हर चुनाव में मतदाता कुछ नया संदेश देते हैं. कभी निर्दलीय को सिर आंखों पर बैठाते हैं, तो कभी क्षेत्रीय दलों को मौका देकर राजनीतिक समीकरणों को उलट-पलट कर देते हैं. आइए जानते हैं ओबरा विधानसभा क्षेत्र की पूरी जानकारी और पिछले तीन चुनावों का दिलचस्प इतिहास.
ओबरा बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से एक है, जो काराकट लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह क्षेत्र गैर-आरक्षित (सामान्य) श्रेणी में आता है और यहां की आबादी मुख्यतः ग्रामीण है. सामाजिक दृष्टि से यहां भूमिहार, यादव, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय की अच्छी खासी भागीदारी है. यही कारण है कि यहां जातिगत समीकरण चुनावी नतीजों को काफी हद तक प्रभावित करते हैं.
वोटरों का गणित
2015 के आंकड़ों के अनुसार ओबरा में कुल 2,91,647 मतदाता पंजीकृत थे, जिनमें 1,56,944 पुरुष और 1,34,693 महिलाएं शामिल थीं. चुनाव में औसतन 55% के आसपास मतदान होता है, जो यह दर्शाता है कि यहां मतदाता जागरूक हैं लेकिन अब भी सुधार की गुंजाइश बनी हुई है.
2010: जब निर्दलीय ने सबको चौंकाया
2010 का चुनाव ओबरा विधानसभा के लिए बेहद खास रहा. इस बार जनता ने किसी पार्टी के उम्मीदवार को नहीं, बल्कि एक निर्दलीय उम्मीदवार को अपना विधायक चुना. सोमप्रकाश सिंह ने 36,816 वोट पाकर JD(U) के प्रमोद सिंह चंद्रवंशी को 802 वोटों से शिकस्त दी. यह जीत साफ तौर पर जनता की दलों से नाराजगी और बदलाव की चाह को दर्शाती है.
2015: RJD की वापसी और मोदी लहर की अनदेखी
2015 के चुनाव में RJD के बीरेन्द्र कुमार सिन्हा ने RLSP के चंद्र भूषण वर्मा को 11,396 वोटों से हराया. यह वो वक्त था जब पूरे बिहार में NDA और खासकर बीजेपी के पक्ष में हवा चल रही थी, लेकिन ओबरा की जनता ने महागठबंधन को मौका दिया. इस चुनाव में RJD को 56,042 और RLSP को 44,646 वोट मिले थे. ये नतीजे साफ बताते हैं कि ओबरा में जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दे, राष्ट्रीय लहर से ज्यादा प्रभावी रहे.
2020: फिर RJD का परचम, LJP को बड़ा झटका
2020 में भी RJD ने ओबरा में अपनी जीत दोहराई, लेकिन इस बार नया चेहरा था – ऋषि कुमार. उन्होंने LJP के प्रकाश चंद्र को 22,668 वोटों से हराया. ऋषि कुमार को 63,662 और प्रकाश चंद्र को 40,994 वोट मिले. यह चुनाव बहुत हद तक त्रिकोणीय संघर्ष वाला था, जिसमें जेडीयू जैसे दल भी मैदान में थे, लेकिन असली लड़ाई RJD और LJP के बीच ही सिमट गई.
निष्कर्ष
ओबरा विधानसभा क्षेत्र बिहार की उन सीटों में शामिल है, जहां हर चुनाव में नया ट्रेंड देखने को मिलता है. कभी निर्दलीय जीत जाता है, तो कभी RJD अपने परचम को फिर से लहराने में सफल होती है. यहां की राजनीति यह साबित करती है कि लोकतंत्र में जनता ही असली किंगमेकर है, और उनकी समझ को कभी कम करके नहीं आंकना चाहिए.