चकाई विधानसभा चुनाव 2025 (Chakai Assembly Election 2025)
Chakai Vidhan Sabha Chunav 2025
चकाई जमुई: बिहार की चकाई विधानसभा सीट हर चुनाव में कुछ नया दिखाती है. कभी निर्दलीय का उभार, तो कभी पुराने दलों की वापसी. पिछली तीन विधानसभा चुनावों ने यहां के मतदाताओं के बदलते मूड और नेताओं के सियासी सफर को खूब उजागर किया है.
2020 में हुआ सबसे बड़ा उलटफेर
2020 में सबसे बड़ा उलटफेर तब हुआ जब निर्दलीय प्रत्याशी सुमित कुमार सिंह ने महागठबंधन और एनडीए दोनों के उम्मीदवारों को चौंकाते हुए महज 581 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की. उन्होंने राजद की सावित्री देवी को हराया, जो पिछली बार 2015 में विजेता रही थीं. दिलचस्प यह कि सुमित कुमार सिंह पहले जेएमएम से विधायक रह चुके हैं, फिर निर्दलीय लड़े और जीत गए.
2015 में आरजेडी ने किया कमाल
2015 का चुनाव राजद के लिए खास रहा. सावित्री देवी ने सुमित कुमार सिंह (तब निर्दलीय) को हराकर पार्टी का इस सीट पर खाता खोला था. यह जीत महागठबंधन की रणनीति का अहम हिस्सा मानी गई थी, खासकर तब जब एनडीए के खिलाफ लहर चल रही थी. सावित्री को कुल 47,064 वोट मिले थे.
चकाई कभी एक पार्टी की परंपरागत सीट नहीं रही
2010 के चुनाव में चकाई का चेहरा कुछ और था.जेएमएम के टिकट पर सुमित कुमार सिंह ने बेहद करीबी मुकाबले में लोजपा के विजय कुमार सिंह को मात्र 188 वोटों से मात दी थी. यह उस समय JMM का दुर्लभ पल था जब पार्टी ने बिहार की राजनीति में जगह बनाई थी. चकाई का चुनावी इतिहास इस बात का सबूत है कि यह सीट किसी भी एक पार्टी की परंपरागत नहीं रही है. यहां के वोटर बेहद जागरूक और चतुर हैं, जो स्थानीय उम्मीदवार की छवि और काम को ज्यादा तवज्जो देते हैं.
चकाई की सियासत में समीकरण और चेहरे अहम
चकाई की सियासत में कोई स्थायी विजेता नहीं, सिर्फ बदले हुए समीकरण और चेहरे हैं. चाहे सुमित कुमार सिंह हों या सावित्री देवी, जनता हर बार अपना फैसला नए तरीके से सुनाती रही है. आने वाले चुनावों में इस सीट पर फिर नई पटकथा लिखे जाने की पूरी संभावना है.