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Telanga Kharia Jayanti: तेलंगा खड़िया के वंशज बेरोजगारी की वजह से कर गये पलायन, विकास की योजनाएं भी ठप

Telanga Kharia Jayanti : तेलंगा खड़िया के वंशज बेरोजगारी की वजह से पलायन कर गये हैं. उनके गांव में विकास की योजनाएं ठप है. गांव अधिकांश लड़के लड़कियां पलायन कर गये हैं.

गुमला, दुर्जय पासवान : नौ फरवरी को शहीद तेलंगा खड़िया की जयंती है. देश की आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ने व जमींदारी प्रथा के खिलाफ आवाज उठाने वाले वीर शहीद तेलंगा खड़िया के वंशज गरीबी व बेरोजगारी में दूसरे राज्य पलायन कर गये हैं. अभी एक माह पहले शहीद के 20 वंशज काम करने के लिए गोवा, मुंबई और बिहार चले गये हैं. ये लोग होटल में वेटर, कपड़ा दुकान, पत्थर चीरने व ईंट भटठा में ईंट बनाने का काम कर रहे हैं. शहीद के गांव के अन्य दो दर्जन से अधिक युवक-युवती भी पलायन कर गये हैं.

सिसई प्रखंड के नागफेनी में तेलंगा खड़िया के रहते हैं 16 परिवार

गुमला से 25 किलोमीटर दूर सिसई प्रखंड के नागफेनी घाघरा गांव में शहीद तेलंगा खड़िया के 16 परिवार रहते हैं. इस गांव में रोजगार का कोई साधन नहीं है. विकास की योजनाएं ठप है. गरीबी में लोग जी रहे हैं. घर का कोई सदस्य बीमार होने पर इलाज कराने के लिए खेती योग्य जमीन गिरवी रखनी पड़ती है. इसलिए शहीद के वंशज पैसा कमाने के लिए दूसरे राज्य चले गये. अधिकांश युवक-युवती पढ़ने-लिखने वाले हैं. कॉलेज और स्कूल की पढ़ाई छोड़कर मजदूरी करने गये हैं.

शहीद के परपोता की जमीन गिरवी

शहीद के परपोता स्व जोगिया खड़िया के पुत्र विकास खड़िया आइटीआई करने के बाद मजदूरी करने के लिए मुंबई चला गया. जानकारी के मुताबिक वह अपने माता पिता द्वारा गिरवी रखी गयी डेढ़ एकड़ जमीन को मुक्त कराने के लिए पैसा कमाने गया है. वंशजों ने बताया कि वर्ष 2023 में जोगिया खड़िया और उसकी पत्नी पुनी खड़ियाइन जब जीवित थे तो इन लोगों ने अपनी बीमारी के इलाज कराने के लिए डेढ़ एकड़ जमीन गिरवी रखी थी.

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प्रशासन ने तेलंगा खड़िया के विकास खड़िया को नहीं दिया रोजगार

जमीन गिरवी रखने के बाद इलाज हुआ. लेकिन, कुछ माह के अंतराल में दोनों पति पत्नी की मौत हो गयी. इसके बाद प्रशासन ने स्व जोगिया के बेटे विकास खड़िया को आइटीआई कराया. लेकिन, गिरवी जमीन मुक्त नहीं हो सका. आइटीआइ करने के बाद प्रशासन ने विकास खड़िया को रोजगार नहीं दिया. इसलिए वह पैसा कमाने मुंबई चला गया.

क्या कहते हैं तेलंगा खड़िया के वंशज

गांव में सरना, खड़िया और उरांव मसना घेराबंदी, सोलर जलमीनार, डीप बोरिंग, शहीद के वंशजों की पहचान के लिए पहचान पत्र बने. प्रतिमा स्थल जहां नौ फरवरी को मेला लगता है, वहां पर सुंदरीकरण और पेयजल की व्यवस्था हो.

संतोष खड़िया, वंशज

मैं शहीद तेलंगा खड़िया का वंशज हूं. मेरे बड़े भाई जोगिया खड़िया और भाभी पुनी खड़ियाइन की बीमार के कारण दो साल पहले निधन हो गया. जमीन गिरवी है. मेरा भतीजा, मेरे दो बेटे सहित गांव के 20 से 25 लोग पलायन कर गये.

किनू खड़िया, परपोता

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Sameer Oraon
Sameer Oraon
इंटरनेशनल स्कूल ऑफ बिजनेस एंड मीडिया से बीबीए मीडिया में ग्रेजुएट होने के बाद साल 2019 में भारतीय जनसंचार संस्थान दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा किया. 5 साल से अधिक समय से प्रभात खबर में डिजिटल पत्रकार के रूप में कार्यरत हूं. इससे पहले डेली हंट में भी बतौर प्रूफ रीडर एसोसिएट के रूप में भी काम किया. झारखंड के सभी समसमायिक मुद्दे खासकर राजनीति, लाइफ स्टाइल, हेल्थ से जुड़े विषय पर लिखने और पढ़ने में गहरी रूचि है. तीन साल से अधिक समय से झारखंड डेस्क पर काम किया. फिर लंबे समय तक लाइफ स्टाइल डेस्क पर भी काम किया. इसके अलावा स्पोर्ट्स में भी गहरी रूचि है.

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