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झारखंड विधानसभा चुनाव चौथे चरण : युवा रहे खामोश, महिलाओं ने दिखाया जोश

संजीव झा झारखंड विधानसभा चुनाव के चौथे चरण की 15 सीटों के लिए सोमवार को मतदान हुआ. इस दौरान कुल 62.47 प्रतिशत मदान हुआ है, जो पिछले विधानसभा चुनाव से 2.12 प्रतिशत कम है. वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान इन 15 सीटों पर 64.66 प्रतिशत वोट पड़े थे. इस बार भी शहरी […]

संजीव झा
झारखंड विधानसभा चुनाव के चौथे चरण की 15 सीटों के लिए सोमवार को मतदान हुआ. इस दौरान कुल 62.47 प्रतिशत मदान हुआ है, जो पिछले विधानसभा चुनाव से 2.12 प्रतिशत कम है. वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान इन 15 सीटों पर 64.66 प्रतिशत वोट पड़े थे. इस बार भी शहरी क्षेत्र पर ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं का जोश भारी रहा. खास कर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में. इस बार युवा पीढ़ी ने भी मतदान प्रक्रिया में बहुत रुचि नहीं दिखायी. जबकि, आधी आबादी ने हर जगह लाज बचायी.
पहला वोटर बनने के लिए भी महिला मतदाताओं में गजब का उत्साह दिखा. शहर हो या गांव, हर जगह महिलाएं जोश में दिखीं. बूथों पर आधी आबादी की ही कतार नजर आ रही थी. सुबह से ही महिलाएं सब काम छोड़ कर पहले अपनी जिम्मेदारी निभाने बूथों तक पहुंचीं.
शहर के मतदाताओं ने नहीं दिखाया उत्साह, गांवों में बरसे वोट
नक्सल प्रभावित इलाकों में दिखा लोकतंत्र के महापर्व का जोश
उग्रवाद प्रभावित टुंडी विधानसभा क्षेत्र में भी जमकर पड़े वोट
शहरी बाहुल्य इलाका धनबाद विधानसभा क्षेत्र में पड़े सबसे कम वोट
किसी भी बूथ पर वोटरों को नहीं पड़ी टोकन की जरूरत
धनबाद : सोमवार को धनबाद, सिंदरी, झरिया, निरसा, बाघमारा, टुंडी, गिरिडीह, गांडेय, जमुआ, डुमरी, बगोदर, बोकारो, चंदनिकयारी, देवघर तथा मधुपुर सीट पर मतदान हुआ. धनबाद जिला की सभी छह सीटों के शहरी आबादीवाले बूथों पर मतदाताओं में उत्साह की कमी दिखी.
खासकर युवा व अधेड़ उम्र के मतदाता में कोई जोश नहीं दिखा. हर दल व प्रत्याशी के जुलूस में युवा मतदाताओं की भीड़ दिखी, लेकिन वह भीड़ बूथों से गायब थी. शहरी क्षेत्र के अधिकांश बूथों पर तो पांच-10 से ज्यादा मतदाताओं की कतार नजर नहीं आयी. टोकन व्यवस्था की भी यहां जरूरत ही नहीं पड़ी. उग्रवाद प्रभावित टुंडी विधानसभा क्षेत्र में जमकर मतदान हुआ. अलसुबह ही गांव में बूथों के बाहर मतदाता जुटने लगे थे. वहीं, शहरी बाहुल्य इलाका वाला धनबाद विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम वोट पड़े. हालांकि, अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाका में मतदाताओं की कतार जरूर नजर आयी.
बोकारो के युवा मतदाता भी रहे उदास : बोकारो तथा चंदनकियारी विधानसभा क्षेत्रों में मतदान शांतिपूर्ण रहा. बोकारो के शहरी क्षेत्र में मतदाता उदासीन रहे. यहां भी युवा पीढ़ी व अधेड़ पुरुष मतदान के प्रति उदासीन रहे. जबकि महिलाएं खासकर युवतियां काफी जोश में थीं. जबकि चंदनकियारी क्षेत्र में जम कर मतदान हुआ. ग्रामीण क्षेत्र में भी मतदान करने में आधी आबादी आगे रही.
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जम कर बरसा वोट : गिरिडीह के पांच विधानसभा क्षेत्रों में मतदान शांतिपूर्ण रहा. यहां भी शहरी क्षेत्र के मतदाता उदासीन रहे. यहां भी मतदान में पुरुषों के मुकाबला महिलाएं आगे रहीं. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जम कर वोट बरसा. ठंड के बावजूद नक्सल प्रभावित क्षेत्र में मतदाता सुबह सात बजे के पहले ही लाइन में लग गये थे. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच यहां मतदान की प्रक्रिया पूरी हुई. गांडेय को छोड़ जिला के शेष चार सीटों पर दोपहर तीन बजे तक मतदान हुआ.
ऊपरघाट : 25 लाख रुपये के इनामी सहित अन्य नक्सलियों के परिजनों ने दिया वोट
ऊपरघाट : बोकारो जिले के डुमरी विधानसभा के नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट में भाकपा माओवादी के सैक सदस्य लालचंद्र हेम्ब्रम उर्फ अनमोल दा उर्फ समर दा सहित कई नक्सलियों के परिजनों ने सोमवार को मतदान किया. सरकार ने लालचंद्र पर 25 लाख का इनाम घोषित है. उसका कार्य क्षेत्र मूल रूप से सारंडा है.
इसके अलावा चिराग उर्फ प्रमोद और शंकर उर्फ जीतू महतो के परिजनों ने भी लोकतंत्र के महापर्व में शामिल हुए. सुबह आठ बजे समर की मां 86 वर्षीया झुमी देवी, भाभी सुनीता देवी, भतीजा सुनील हेंब्रम, जितेंद्र हेंब्रम, मोहन हेंब्रम व चाचा देवी उर्फ बोदो मांझी ने पोखरिया पंचायत के मवि वंशी स्थित बूथ संख्या 212 में मतदान किया. अपने गांव पोखरिया पंचायत के जरवा से ये लोग लगभग पांच मील पैदल चल कर यहां आये थे और घंटों कतार में खड़े रहे.
समर दा के तीनों भतीजों ने पहली बार वोट डाला. हालांकि, परिजनों व ग्रामीणों में गांव में सड़क व पेयजल समस्या काे लेकर रोष है. इधर, बिहार-झारखंड के मोस्ट वांटेड चिराग के पिता नावाडीह प्रखंड अंतर्गत कंजकिरो पंचायत के पिपराडीह निवासी फागुन महतो, मां, भाई धानेश्वर महतो व भाई की पत्नी गिरीबाला देवी ने पिपराडीह मवि स्कूल स्थित बूथ नंबर 226 में मतदान किया.
चिराग ने शादी नहीं की है. दसवीं की परीक्षा में असफल होने के बाद वह नक्सली संगठनों से जुड़ा था. बगोदर के माले विधायक महेंद्र सिंह की हत्याकांड में नाम आने के बाद वह सुर्खियों में आया. वर्ष 2015 में बिहार के जमुई स्थित खिजुरवा पहाड़ जंगल सीआरपीएफ के साथ मुठभेड़ में वह मारा गया था.
नक्सली शंकर उर्फ जीतू महतो की पत्नी ने किया मतदान
नक्सली शंकर उर्फ जीतू महतो की पत्नी सीता देवी ने गांव की अन्य महिलाओं के साथ पिपराडीह मवि स्कूल के बूथ नंबर 227 में अपना वोट डाला. एक समय कंजकिरो पंचायत के पिपराडीह गांव के टैहरवासीरी टोला में अपने मामा घर में रह कर राज मिस्त्री का काम करने वाला शंकर उर्फ जीतू महतो किशन दा से प्रभावित होकर नक्सल आंदोलन से जुड़ा था.
माओवादियों के घटक संगठन क्रांतिकारी किसान कमेटी से जुड़ कर माओवादी सब जोनल कमांडर भी बना. गिरिडीह जिला के चंदौली जंगल में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में वह मारा गया था. जीतू महतो के परिवार में दो बेटी व एक बेटा है. बेटा काम करने दूसरे प्रदेश गया है.
लब आजाद हैं तेरे
बोल कि लब आजाद हैं तेरे
बोल जबां अब तक तेरी है
तेरा सुतवां, जिस्म है तेरा
बोल कि जां अब तक तेरी है
देख के आहंगर की दुकां में
तुंद हैं शोले सुर्ख है आहन
खुलने लगे कुफ्फलों के दहाने
फैला हर एक जंजीर का दामन
बोल ये थोड़ा वक्त बहोत है
जिस्म-ओ-जबां की मौत से पहले
बोल कि सच जिंदा है अब तक
बोल जो कुछ कहने है कह ले
चुनाव में जब एक बड़ा तबका वोट नहीं देकर निराश कर रहा है, तब महिलाओं का उत्साह देखकर उनके लिए फैज अहमद फैज की उक्त पंक्तियां याद आ रही हैं.
कम मतदान होना चिंताजनक चुनाव बाद करेंगे समीक्षा
सभी विधानसभा सिटों पर मतदान शांतीपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ. वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार के चुनाव में 2.12 प्रतिशत कम वोट पड़े हैं. हालांकि, यह औपबंधित आंकड़े हैं. एक-दो दिनों में मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी हो सकती है. कम मतदान होना चिंता की बात है. लेकिन चुनाव के बाद हम इसके कारणों का सटीक विश्लेष करेंगे.
-विनय चौबे, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी

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