सुपौल : पाश्चात्य देशों व भारत के महानगरों में बदलते दौर में जारी आधुनिकीकरण का असर अब कोसी के इस पिछड़े जिले में भी दिखने लगा है़ कोसी की विनाश-लीला से जर्जर रहे इस इलाके में भी समय के साथ तेजी से बदलाव आ रहा है़ यह असर रहन-सहन, बोल-चाल, पहनावा – ओढ़ावा व खान-पान आदि के क्षेत्र में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होने लगा है़ हाल के दशक तक धोती-कुर्ता जैसे पारंपरिक परिधान पहनने वाले लोग अब पैंट-शर्ट व जींस-टी शर्ट धारण करने लगे हैं.
इक्के-दुक्के पुराने मानसिकता वाले लोग ही अब धोती-कुर्ता जैसे कपड़े धारण किये नजर आते हैं. महिलाएं भी इस परिवर्तन के दौर में पीछे नहीं हैं. पारंपरिक परिधान साड़ी की जगह शूट व जींस-टॉप आदि लेता जा रहा है़ शादी-विवाह के अवसर पर तो अब नये डिजाइन के लंहगा पहनने का फैशन चल पड़ा है़ विशेष कर नये उम्र की महिलाओं व युवतियों में इस प्रकार के कपड़ों का काफी क्रेज देखा जा रहा है़
फैशनेबुल नवयुवक व युवतियों की मानें तो आधुनिक डिजाइन के कपड़े पहनने में काफी हल्के व आरामदेह (सुविधाजनक) महसूस होते हैं. यही वजह है कि नये डिजाइन के कपड़े पहनने का फैशन भी बढ़ता जा रहा है़ ग्राहकों के मन व मिजाज में आ रहे परिवर्तन का असर जिले के बाजारों में भी दिखने लगा है़ शहर में किलर, मोन्टे-कार्लो, ड्यूक जैसे ब्रांडेड कंपनियों के शो रूम खुल रहें है़ नये उम्र के युवक व युवतियों का झुकाव अब इन ब्रांडेड कंपनी के वस्त्रों की ओर स्पष्ट दिख रहा है़