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सक्रियता के साथ निबटाया जा रहा भूमि विवाद

81 प्रतिशत से अधिक विवादों का हुआ है निबटारा खगडि़या. सैकड़ों एकड़ भूमि का लेखा-जोखा नहीं होने के कारण यह जिला भूमि विवादों का जिला कहलता है. भूमि विवाद को लेकर ही अधिसंख्य घटनाएं यहां होती रहती हैं. जिले का हर प्रखंड भूमि विवाद से त्रस्त है. जानकार बताते हैं कि यहां भूमि विवाद का […]

81 प्रतिशत से अधिक विवादों का हुआ है निबटारा खगडि़या. सैकड़ों एकड़ भूमि का लेखा-जोखा नहीं होने के कारण यह जिला भूमि विवादों का जिला कहलता है. भूमि विवाद को लेकर ही अधिसंख्य घटनाएं यहां होती रहती हैं. जिले का हर प्रखंड भूमि विवाद से त्रस्त है. जानकार बताते हैं कि यहां भूमि विवाद का एक मुख्य कारण जमीन का सर्वे नहीं हो पाना है. खतियान पुराना एवं उसकी अच्छी स्थिति नहीं होने के करण ही आये दिन जमीन संबंधी विवाद सामने आते है. हालांकि आंक ड़े बताते हंै कि इस जिले में जमीन विवाद के निबटारा की स्थिति राज्य के कई जिलों से अच्छी हैं. अब तक सैकड़ों जमीन विवादों का निबटारा किया जा चुका है. क्या है स्थिति भूमी विवाद निराकरण अधिनियम 2009 के तहत दोनों अनुमंडलों में दायर मामलों के निबटारे की स्थिति बेहतर है. हालांकि शत-प्रतिशत नहीं है. आंकड़ों के मुताबिक 81.51 प्रतिशत मामलों का निष्पादन किया जा चुका है. दोनों अनुमंडलों में दिसंबर 2014 तक भूमि विवाद निराकरण अधिनियम 2009 के तहत 1650 मामले दर्ज हुए थे. इसके विरुद्ध 1345 मामलों में आदेश पारित किया जा चुका है. सदर अनुमंडल की स्थिति गोगरी से अच्छी है. सदर अनुमंडल मंे जहां 85.14 प्रतिशत मामलों का निष्पादन किया गया है, वहीं गोगरी अनुमंडल में 77.74 प्रतिशत मामलों का ही निष्पादन किया गया है.कहां कितने निष्पादित भूमि विवाद निराकरण अधिनियम के तहत 1650 मामले दायर हुए हैं. इसमें सदर अनुमंडल में सर्वाधिक मामले दर्ज हुए हैं. सदर अनुमंडल में जहां 785 मामलों का निष्पादन किया जा चुका है. वहीं गोगरी में 613 मामलों में आदेश जारी हुआ है. सदर अनुमंडल में जहां करीब 120 मामले लंबित है, वहीं गोगरी अनुमंडल में 168 मामले लंबित है.

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