कटिहार : सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चाें को इस बार भी पाठ्यपुस्तक उनके हाथों में विलंब से मिलेगी. राज्य सरकार अब सीधे पाठ्यपुस्तक बच्चों को उपलब्ध कराने के बजाय उनके लिए राशि देने की योजना बनायी है. पाठ्यपुस्तक की राशि बच्चों के बैंक खाते में सीधे भेजी जायेेगी. अभी एक सप्ताह पूर्व ही राज्य सरकार ने इससे संबंधित फरमान जारी किया है.
राज्य सरकार द्वारा जारी पत्र के अनुसार डीइओ व डीपीओ प्रारंभिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान को पाठ्यपुस्तक के बदले कैश ट्रांसफर की तैयारी सुनिश्चित करने की बात कही गयी है. बिहार शिक्षा परियोजना परिषद पटना के राज्य परियोजना निदेशक संजय सिंह ने पत्रांक, 1750, 20 मार्च के माध्यम से डीइओ व डीपीओ को निर्देश दिया है कि कैश ट्रांसफर को लेकर मुकम्मल तैयारी कर अधियाचना शीघ्र भेज दें. उल्लेखनीय है कि 31 मार्च को शैक्षणिक सत्र 2017-18 समाप्त हो जायेगा. अप्रैल से शैक्षणिक सत्र 2018-19 प्रारंभ होगा. बिहार शिक्षा परियोजना परिषद अंतिम सप्ताह में पत्र जारी कर तैयारी करने का निर्देश दिया है. इससे समझा जा सकता है कि नये शैक्षणिक सत्र में भी बच्चों को पाठ्य पुस्तक समय पर नहीं मिलेगी.
शैक्षणिक सत्र 2017-18 में बच्चों को पाठ्यपुस्तक अप्रैल के बजाय जनवरी 2018 में मिली है. अर्द्धवार्षिक एवं वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा सरकारी विद्यालय के बच्चों बगैर पढ़े ही दिये हैं. हालांकि पाठ्य पुस्तक वितरण को लेकर सरकार के पास स्पष्ट नीति का अभाव रहा है. यही वजह है कि पिछले कुछ वर्षों तक से बच्चों को पाठ्य पुस्तकें शैक्षणिक सत्र के 6-7 महीने बाद मिलती हैं.
इस बार भी समय पर पुस्तक मिलने की संभावना कम : शिक्षा विभाग के इस नये आदेश के आलोक में स्थानीय शिक्षा अधिकारी उसकी तैयारी में जुट गये हैं. पर, अब यह आशंका बढ़ गयी है कि अन्य वर्षों की तरह इस बार भी प्रारंभिक विद्यालय के बच्चों को पाठ्यपुस्तक समय पर नहीं मिलेगी. बच्चों के बैंक खाता खोलने तथा उसके आधार सीडिंग की प्रक्रिया अब शुरू होनी है. ऐसे में इस प्रक्रिया को पूरा होने में दो-तीन महीना लग ही जायेगा. उल्लेखनीय है कि नया शैक्षणिक सत्र अप्रैल में शुरू हो जायेगा, जबकि चालू शैक्षणिक सत्र के समाप्त होने में चार दिन ही बचे हैं. शैक्षणिक सत्र 2017-18 में भी बच्चों को पाठ्य पुस्तक समय पर नहीं मिली थी. इस सत्र की पुस्तकें बच्चों को जनवरी में मिली हैं.
छात्र-छात्राओं का बैंक खाता होना जरूरी
राज्य परियोजना निदेशक संजय सिंह ने पत्र के माध्यम से जिला शिक्षा पदाधिकारी व जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्रारंभिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान को निर्देश दिया है कि नामांकित सभी छात्र-छात्राओं का बैंक खाता होना जरूरी है. पत्र में वर्ग एक से आठ तक के नामांकित सभी बच्चों का बैंक खाता खोलने की दिशा में ठोस पहल करने का निर्देश है. पत्र में यह भी कहा गया है
कि जिन छात्र-छात्राओं का पहले खाता खुला हुआ हो. वह खाता किसी कारण से ऑपरेट नहीं हो रहा हो तो उसके लिए छात्र छात्राओं के अभिभावक से मिल कर उस खाता को ऑपरेट कराना सुनिश्चित करें. साथ ही बैंक खाता के साथ आधार सीडिंग भी जरूरी है. हालांकि पत्र में यह भी कहा गया है कि अगर बैंक खाता के साथ आधार सीडिंग नहीं भी होगी, तब भी पाठ्यपुस्तक की राशि छात्र-छात्राओं के खाते में डीबीटी के माध्यम से भेजी जायेगी.
बच्चों के बैंक खाते में भेजी जायेगी राशि
बिहार शिक्षा परियोजना परिषद पटना के राज्य परियोजना निदेशक के द्वारा पत्र प्राप्त हुआ है. पत्र के आलोक में तैयारी शुरू कर दी गयी है. बच्चों का बैंक खाता खोलने तथा उसके आधार सीडिंग कराने को लेकर सभी प्रधानाध्यापक व प्रभारी प्रधानाध्यापक को निर्देश दिया गया है. शैक्षणिक सत्र 2018-19 में बच्चों को पाठ्य पुस्तक खरीदने के लिए बैंक के माध्यम से राशि उपलब्ध कराने की योजना है.
विद्यासागर िसंह, डीपीओ, प्रारंभिक शिक्षा एवं सर्वशिक्षा अभियान
कहते हैं बाल अधिकार कार्यकर्ता
नया सत्र 2018-19 अप्रैल से शुरू होगा. अब सरकार पाठ्य पुस्तक के बजाय कैश ट्रांसफर करने की तैयारी कर रही है. इस बार भी सरकारी विद्यालय के बच्चों को समय पर पुस्तक नहीं मिल सकेगी. बिहार में करीब दो करोड़ से अधिक बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. बिहार बाल आवाज मंच पाठ्य पुस्तक देने के बजाय कैश ट्रांसफर की नीति का विरोध करता है.
राजीव रंजन राज, राज्य समन्वयक, बिहार बाल आवाज मंच