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..तो फिर अलग-अलग बयान क्यों ?

एनकांटर पर उठे सवाल. जब स्पष्ट था कि पुलिस ने एनकाउंटर किया घटना वाले दिन बारसोई एसडीपीओ पंकज कुमार ने कहा था कि शराब तस्करों के बीच हुई गोलीबारी में मारा गया था मुन्ना. कटिहार : कटिहार जिले के बारसोई अनुमंडल के कचना ओपी पुलिस की गोली से मुन्ना नुनिया की मौत को लेकर बारसोई […]

एनकांटर पर उठे सवाल. जब स्पष्ट था कि पुलिस ने एनकाउंटर किया

घटना वाले दिन बारसोई एसडीपीओ पंकज कुमार ने कहा था कि शराब तस्करों के बीच हुई गोलीबारी में मारा गया था मुन्ना.
कटिहार : कटिहार जिले के बारसोई अनुमंडल के कचना ओपी पुलिस की गोली से मुन्ना नुनिया की मौत को लेकर बारसोई थाने में कचना ओपी प्रभारी दिलीप कुमार ओझा (अब लाइन हाजिर) पिता चतुरानंद ओझा ने थाना कांड संख्या 36\\18 के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी है. इसमें पुलिस ने मुन्ना नुनिया की पुलिस एनकाउंटर में मौत एवं एक अन्य अपराधी के विरुद्ध धारा 307, 353, 333, 25 (1बी) आर्म्स एक्ट 26, 27 सहित अन्य धारा के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी है. मुन्ना नुनिया की मौत को लेकर बारसोई सहित जिले में लोग अपने अलग-अलग तर्क दे रहे हैं. कोई इसे पुलिस की मनगढ़ंत कहानी बता रहा है, तो कोई पुलिस का जुल्म.
हालांकि मुन्ना नुनिया की मौत अपने पीछे कई सवाल खड़े कर गयी है. पुलिस मुन्ना नुनिया की मौत को एनकाउंटर कह रही है, लेकिन परिजनों व स्थानीय लोगों की मानें तो यह फेक एनकाउंटर है. पुलिस ने उसकी गोली मारकर हत्या कर बाद में उसके पास से कट्टा व खोखा बरामद करना दिखा दिया है, ताकि इस घटना को एनकाउंटर साबित कर सके. दूसरी ओर जिले के वरीय पुलिस पदाधिकारी सहित थाने में पदस्थापित एएसआइ व गश्ती में शामिल पुलिस जवान भी इसे एनकाउंटर का नाम दे रहे हैं. एसपी डॉ सिद्धार्थ मोहन जैन ने भी मुन्ना नुनिया की मौत पुलिस एनकांउटर में होना बताया है. मामले में फोरेसिंक टीम भी घटनास्थल का निरीक्षण कर ब्लड सैंपल सहित बरामद सामान को जांच के लिए लैब लेकर गयी है.
जब मौके पर देखा तीन बाइक पर कई अपराधी, तो एक ही पर नामजद प्राथमिकी क्यों ?
पुलिस की ओर से मुन्ना नुनिया की एनकाउंटर के पश्चात कचना ओपी प्रभारी दिलीप कुमार की लिखित शिकायत पर स्थानीय थाने में प्राथमकी दर्ज की गयी है. इसमें कचना ओपी प्रभारी ने कहा है कि उनके नेतृत्व में पुलिस बल कचना के रेलवे पश्चिमी फाटक पर पहुंचा. रात के तकरीबन ढाई बजे एक बाइक विलासपुर से आती दिखी. ओपी प्रभारी सहित ड्यूटी पर तैनात अन्य पुलिस जवान ने उसे रुकने का इशारा किया, पर वह नहीं रुका. बाइक को नहीं रुकते देख उन्होंने उक्त मोटरसाइकिल का पीछा करने का निर्देश दिया. पुलिस बल उक्त बाइकसवार का पीछा करने लगी.
इस बीच विलासपुर की ओर से एक और बाइक आती दिखी, जिस पर दो लोग सवार थे. मैंने उन्हें रुकने का इशारा किया, तो वे सीधे मुझे टक्कर मार दिये. इससे मैं जमीन पर गिर पड़ा तथा कमर के दाहिने भाग में चोट भी आयी. मुझसे टकराकर वह बाइकचालक भी अनियंत्रित हो गया और गिर पड़ा. जब मैं उठा तो बाइकचालक ने मुझ पर गोली चला दी. गोली मेरे सिर के ऊपर से आवाज करते हुए गुजर गयी. मैं हतप्रभ रह गया, तभी पीछे से एक बाइक आयी, उसपर पीछे बैठा व्यक्ति फायर करने लगा. उसकी गोली मेरे शरीर के बांये भाग से गुजर गयी. लगातार उसके द्वारा की जा रही फायरिंग के कारण उनका जीवन संकट में आ गया. अपनी जान व सर्विस रिवॉल्वर को लुटने से बचाने के लिए उन्होंने भी उस पर फायर झोंक दिया.
बाल-बाल बचे : ओपी अध्यक्ष ने बयान में कहा है कि सटीक नहीं रहने के कारण वह बाल-बाल बच गये. इस दौरान उन्हें लगा कि या तो अपराधी उनकी पिस्टल छीन लेंगे, इसलिए वह अपना पिस्टल निकाले और फायर कर दिया. फायरिंग की आवाज सुनकर सशस्त्र बल के जवान को आते देख अपराधी वहां से फरार हो गये. इधर घटना की सूचना कचना ओपी को दी गयी तथा वहां मौजूद पुलिस पदाधिकारी को घटना स्थल पर पहुंचने का निर्देश दिया. इधर घटना में घायल अपराधी से पूछताछ की तो उसने अपना नाम मुन्ना नुनिया बलतर निवासी बताया तथा उसके साथ एक अन्य अपराधी की पहचान मिथुन नुनिया के रूप में उसने की. घटना स्थल से पुलिस ने एक देसी पिस्टल, पिस्टल खोलने पर एक गोली का खोखा तथा भारी मात्रा में उसके पास से शराब बरामद किया गया.
पुलिस की ओर से दर्ज प्राथमिकी में जब घटना घटी, तो वहां कोई पुलिस बल मौजूद नहीं था. अकेले ओपी प्रभारी दिलीप ओझा ही थे, तो फिर अब मामले में पुलिस की ओर से साक्ष्य किस प्रकार गवाही देंगे. क्योंकि ओपी प्रभारी ने घटना रात के ढाई बजे की बतायी है और पहले उस ओर से गये बाइक का पीछा करने वहां तैनात पुलिस बल को भेजा था. मौजूदा हालत में घटनास्थल पर अकेले होने की बात कही है.
पुलिस की ओर से दर्ज प्राथमिकी में एक बाइक पहले गुजरने तथा दो अन्य मोटरसाइकिल का जिक्र प्राथमिकी में किया गया है, तो फिर मामले में एक मिथुन नुनिया को ही नामजद क्यों बनाया गया. अन्य के विरुद्ध प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गयी. इसमें अज्ञात पर भी तो मामला दर्ज किया जा सकता था.
जब मामला स्पष्ट था कि ओपी प्रभारी की गोली से ही मुन्ना की मौत हुई थी, तो पुलिस पदाधिकारी व वहां तैनात पुलिस बल के अलग-अलग बयान फिर क्यों आ रहे थे.
मुन्ना की मौत घटनास्थल पर रात ही ढाई से तीन बजे के बीच हो गयी थी, तो आर्म्स का जिक्र घटना के दिन पुलिस के वरीय पदाधिकारी ने क्यों नहीं किया.

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