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Waqf law valid : वक्फ संशोधन अधिनियम पूरी तरह से वैध है और इस कानून को बनाते वक्त संसद ने पूरी तरह से अपनी वैध (Legal) शक्तियों का ही प्रयोग किया है. उक्त बातें केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताई. सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सामने यह कहा गया कि जो भी याचिकाएं इस कानून को रद्द करने के लिए दायर की गई हैं, उन्हें खारिज किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार की ओर से इसके लिए हलफनामा दायर किया गया है.
जेपीसी ने कानून बनाते वक्त गहन अध्ययन किया
सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब देते हुए केंद्र ने कोर्ट में कहा कि संयुक्त संसदीय समिति(JPC)ने काफी गहन और विश्लेषणात्मक अध्ययन के बाद वक्फ बिल में संशोधन किया, जिसके बाद बिल को संसद ने पारित किया और कानून बनाया.कोर्ट को बताया गया कि जेपीसी ने सुझाव भी मांगे थे और उन सुझावों पर विचार भी किया गया था. कानून बनाने के तरीके में कोई गलती ना हो, इसका भी पूरा ध्यान रखा गया है.
वक्फ बाई यूजर का किया गया दुरुपयोग
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि जिस वक्फ बाई यूजर के टर्म को हटाने की बात को गलत बताया जा रहा है, वह बहुत ही भ्रामक तरीके से चीजों को प्रस्तुत करने की कोशिश की जा रही है. केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया है कि वक्फ बाई यूजर के प्रावधानों का बहुत ही गलत तरीके से प्रयोग किया गया है, जिसकी वजह से कई निजी और सरकारी जमीन को वक्फ करार दिया गया है. इसकी वजह से सार्वजनिक संपत्तियों पर दावे किए गए और कई लोगों के संपत्ति के अधिकारों का भी हनन हुआ और उन्हें नुकसान हुआ. इसलिए सरकार ने सिर्फ रजिस्ट्रेशन की बात की है और कहा है कि सबको रजिस्ट्रेशन कराना होगा, इस बात को इस तरह फैलाया जा रहा है कि नए कानून से वे संपत्ति प्रभावित होंगे, जिनके दस्तावेज मौजूद नहीं हैं.
गैर मुसलमानों को वक्फ बोर्ड में शामिल करना गलत इरादा नहीं
वक्फ कानून का बचाव करते हुए केंद्र सरकार की ओर से सु्प्रीम कोर्ट में कहा गया कि गैर मुसलमान को बोर्ड में शामिल करना किसी गलत इरादे की वजह से नहीं है. इसका उद्देश्य समाज के हर वर्ग को इसमें शामिल करना है. इस फैसले का उद्देश्य कतई यह नहीं है कि सरकार वक्फ बोर्ड के मामलों में हस्तक्षेत कर रही है.
केंद्र के जवाब के बाद आगे क्या होगा?
वक्फ एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने जिन मुद्दों को चिह्नित कर केंद्र सरकार को नोटिस किया था, उन मुद्दों पर सरकार ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है और कानून का पूरा बचाव किया है. कोर्ट के सामने सरकार ने यह कहा है कि कानून पर बेवजह की आपत्तियां दर्ज कराई जा रही हैं, अत: उन आपत्तियों को खारिज कर दिया जाए. अब गेंद सुप्रीम कोर्ट के पाले में है. दोनों पक्षों की बातों को सुनने के बाद कोर्ट कानून पर अपना निर्णय सुनाएगा. संभव है कि कानून में कुछ संशोधन हो या यह भी संभव है कि अभी कोर्ट अपनी राय देने से पहले मामले के अन्य पक्षों पर भी विचार करे.
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