Tradition Of Mangalsutra : भारतीय समाज में मंगलसूत्र एक विवाहित भारतीय महिला की पहचान और उसका विशेष आभूषण है. मंगलसूत्र को उसी तरह की मान्यता है, जिस तरह की मान्यता सिंदूर को है. विवाह के मौके पर एक स्त्री को उसका पति मंगलसूत्र पहनाता है और वह स्त्री आजीवन उस मंगलसूत्र को धारण करती है, जबतक कि उसका पति जीवित रहे.
कहां से शुरू हुई थी मंगलसूत्र की परंपरा
भारतीय पौराणिक कथाओं में मंगलसूत्र को माता पार्वती से जोड़कर बताया जाता है. कथाओं में यह बताया गया है कि तपस्या के बाद जब शिव और पार्वती का विवाह हुआ, तो उन्होंने काले मोतियों की माला पहनी थी, वहीं से मंगलसूत्र पहनने की परंपरा की शुरुआत हुई. मंगलसूत्र की परंपरा की जड़ें दक्षिण भारत से मिलती हैं. प्राचीन तमिल साहित्य जिसे संगम साहित्य भी कहा जाता है, उसमें एक विशेष प्रकार के आभूषण का जिक्र मिलता है जिसे थाली कहा जाता था. थाली को ही आधुनिक काल में मंगलसूत्र कहा जाता है. तमिल साहित्य का काल 300 ईसापूर्व है.तमिलनाडु में इसे थाली, महाराष्ट्र में मंगलसूत्र और आंध्रप्रदेश में भी थाली ही कहा जाता था. मनुस्मृति और चाणक्य के अर्थशास्त्र में विवाहित स्त्रियों द्वारा पहने जाने वाले गहने का जिक्र है, जिसे मंगलसूत्र तो नहीं कहा जाता था, लेकिन विशेष गहना जरूर कहा जाता था.

मंगलसूत्र किस बात का प्रतीक है?
मंगलसूत्र एक विवाहित स्त्री का प्रतीक है, जिसे स्त्रियां पति की लंबी आयु की कामना से पहनती हैं.प्राचीन समय में इसे मंगलसूत्र तो नहीं कहा जाता था, लेकिन कंठसूत्र और कंठथाली जैसे नाम भी मिलते हैं. मंगलसूत्र सोने का बना होता है और इसे काले मोती के साथ भी पहना जाता है.
दक्षिण भारत से उत्तर भारत पहुंचा मंगलसूत्र
मंगलसूत्र की परंपरा दक्षिण भारत से होते हुए उत्तर भारत पहुंची और आज के समय में यह पूरे भारत में विवाहित स्त्रियों का सर्वप्रमुख गहना है. मंगलसूत्र के बिना एक विवाहित स्त्री एक पल भी नहीं बिताती है. मंगलसूत्र उतारना अपशकुन माना जाता है. आज के समय में मंगलसूत्र उत्तर भारत में भी विवाहित स्त्री के लिए अनिवार्य गहना हो गया है, जिसे वो शादी के बाद से पहनती है. उत्तर और दक्षिण भारत के बीच जब संस्कृतियों का आदान-प्रदान ज्यादा बढ़ा तो मंगलसूत्र उत्तर भारत आ गया. उससे पहले उत्तर भारत में सिंदूर ही विवाहित स्त्री की पहचान होता था.बिहार और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में एक आभूषण ढोलना पहना जाता है, उसे भी विवाहित स्त्री के लिए अनिवार्य माना जाता है.
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