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Pahalgam Attack : पहलगाम में मंगलवार को जिस तरह की बर्बरता हुई, उसके तार सीधे तौर पर पाकिस्तान से जुड़े हैं. अपने देश की नाकामियों को छिपाने और अपनी जनता के बीच लोकप्रियता हासिल करने के लिए पाकिस्तान इस तरह की नापाक हरकत कई बार करता रहा है. अपनी मंशा को प्रकट करते हुए हाल ही में पाक के सेना अध्यक्ष असीम मुनीर ने यह कहा था कि हिंदू और मुसलमान एक साथ नहीं रह सकते हैं. आतंकियों ने उसी पैटर्न पर काम करते हुए धर्म पूछकर सैलानियों को मारा. उनका एजेंडा है देश में हिंदू और मुसलमानों के बीच नफरत के बीच बोना.
पहलगाम अटैक की तैयारी पहले से कर रहा था पाकिस्तान
पाकिस्तान पिछले कुछ महीनों से जम्मू-कश्मीर की शांति भंग करने की योजना बना रहा था. पीओके में इस साल की शुरुआत से ही जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी सक्रिय थे. जो इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि वे कश्मीर की शांति भंग करने के फिराक में थे. सेनाध्यक्ष असीम मुनीर ने भी यह स्पष्ट कर दिया था कि वे कश्मीर को अशांत करना चाहते हैं और इसके लिए उसने कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस बताया था. वरिष्ठ पत्रकार अनिल आनंद ने प्रभात खबर के साथ बात करते हुए बताया कि मैं जम्मू-कश्मीर का ही रहने वाला हूं. मंगलवार को पहलगाम में जो कुछ हुआ, उसकी शुरूआत तीन-चार महीने पहले से कुछ घटनाओं के रूप में हो चुकी थी. जम्मू और पंजाब के बीच कठुआ जिला है, जहां से होकर रावी नदी बहती है, इसी को घुसपैठियों ने अपना रास्ता बनाया और यहां घुसे. इनका एजेंडा है जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाकर भारत को अशांत करना और अपने देश में लोकप्रियता हासिल करना . पाकिस्तानियों के पास तो कश्मीर के अलावा और कोई राग है नहीं और वे हमेशा इसी राग को अलापते रहते हैं.
अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए कश्मीर को किया अशांत
पाकिस्तान का बलूचिस्तान, सिंध, गिलगित,खैबर पख्तूनख्वा प्रांत आदि कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां अलगाववादी सक्रिय हैं. इन इलाकों में अलग राज्य की मांग हो रही है. पाकिस्तान की सरकार इन मुद्दों से अपने देश का ध्यान भटकाना चाहती है, क्योंकि वो इन इलाकों में नकारा साबित हो चुकी है. अनिल आनंद बताते हैं कि पाकिस्तान के पास इन मसलों का कोई हल नहीं है, तो वह पाकिस्तान का राग अलाप रहा है. वह यह देख रहा है कि कश्मीर में स्थितियां बदली हैं, टूरिस्ट हजारों की संख्या में आ रहे हैं, तो उसने अपना एजेंडा चला दिया. यहां गौर करने वाली बात यह है कि हमें उनकी मंशा की जानकारी क्यों नहीं हो पाई? अभी तो इसकी जांच भी होगी कि कौन इस घटना के लिए जिम्मेदार है.
पहलगाम हमले के जरिए नए पैटर्न बना रहे हैं आतंकी
पत्रकार अनिल आनंद बताते हैं कि अबतक आतंकियों ने हिंदुओं और सिखों को निशाना बनाया था, लेकिन इस बार उन्होंने टूरिस्ट को अपना टारगेट बनाया. यह एक नई बात सामने आई है. दूसरे यह कि पहली बार कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं के खिलाफ आम जनता सड़कों पर उतरी है और विरोध प्रदर्शन किया है. उन्होंने खुलकर यह कहा है कि बहुत गलत हुआ है, इससे हमारी आजीविका को नुकसान होगा.
पाकिस्तान अपना एजेंडा चला रहा, उसे सफल नहीं होने देना है
हिंदू और मुसलमान के बीच नफरत की बीज बो कर पाकिस्तान, भारत को अशांत करना चाहता है, इसलिए जरूरी यह है कि आम जनता इस बात को समझे. पहलगाम हमले पर बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई ने कहा कि पाकिस्तान यह चाहता है कि धर्म के नाम पर भारत में नफरत बढ़े, इसी एजेंडे को साकार करने के लिए वह 1947 से लगा हुआ है. टू नेशन का सिद्धांत भी उसने इसी आधार पर दिया था. भारत में हिंदू-मुसलमान वर्षों से साथ रहते हैं और हम एक हैं यह कहने की बात नहीं है, यह सच है. पाकिस्तान में ही मुसलमान साथ नहीं रह पा रहे हैं, मस्जिदों में विस्फोट होते रहते हैं.हमें उनके एजेंडे को समझना है और हिंदू-मुस्लिम के बीच दीवार खड़ी नहीं करनी है, अन्यथा पाकिस्तान सफल हो जाएगा.
सरकार के पास इस हमले का जवाब देने के कई तरीके
पाकिस्तान ने पहलगाम में जो बर्बरता करवाई है, उसका जवाब देने के लिए भारत सरकार सक्षम है. अब सरकार किस तरह से जवाब देगी यह सरकार तय करेगी. लेकिन देश के नागरिकों और सरकार के विपक्षी दलों ने भी साथ आकर यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार का समर्थन उन्हें है. कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने गृहमंत्री अमित शाह से बात करके उन्हें अपना समर्थन दिया. रशीद किदवई कहते हैं कि तमाम विरोध अलग चीज है, लेकिन जब राष्ट्र पर हमला हो तो सबको एकजुटता दिखानी चाहिए. सरकार के पास पाकिस्तान को जवाब देने के कई तरीके हैं, वह कूटनीतिक तरीका है या कुछ और भी हो सकता है. यह सरकार को तय करना है कि वह क्या और कैसे जवाब देगी. जहां तक बात रही, धर्म पूछकर गोली मारने की तो यह धर्म पर नहीं मानवता पर हमला है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए. मैं कुछ ही दिन पहले कश्मीर गया था, वहां हजारों सैलानी आए हुए थे. बहुत अच्छा लगा देखकर बंगाल, गुजरात के काफी सैलानी थी, लेकिन पहलगाम में जो कुछ हुआ, उससे सैलानी डर जाएंगे.
मानवता हुई शर्मसार, इस्लाम नहीं देता इसकी शिक्षा
कोई भी धर्म यह नहीं सिखाता है कि जबरन किसी पर अपना धर्म थोपें.. मौलाना तहजीब बताते हैं कि इस्लाम में जबरत धर्म परिवर्तन की कोई जगह नहीं है. क़ुरान-ए-मजीद में बताया गया है कि इस्लाम में जबरन धर्म परिवर्तन के लिए कोई जगह नहीं है. “धर्म में कोई ज़बरदस्ती नहीं है।”
— सूरह अल-बक़रह (2:256). इसलिए जो लोग इस अमानवीय घटना को धर्म से जोड़ रहे हैं उन्हें यह समझना चाहिए कि सिर्फ दाढ़ी और टोपी का नाम इस्लाम नहीं है. इस्लाम नाम है इंसानियत का. सरकार को चाहिए कि वो इन दहशतगर्दों को कड़ी से कड़ी सजा दे. इस तरह की हरकत कतई बर्दाश्त करने लायक नहीं है. इन आतंकियों का कोई धर्म नहीं है, ये बस दहशतगर्द हैं.
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