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kesari 2 : जालियांवाला बाग नरसंहार भारतीय इतिहास की एक ऐसी घटना है, जिसे याद कर आज भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं और लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर जनरल डायर ने निहत्थे लोगों जिसमें औरतें और बच्चे भी शामिल थे, उनपर इतना जुल्म क्यों किया? जालियांवाला बाग नरसंहार में अधिकारिक तौर पर 379 लोग मारे गए थे जबकि बताया यह जाता है कि नरसंहार में 1500 से अधिक लोगों को मारा गया था और 2000 से अधिक लोग घायल हुए थे. इस नरसंहार के बाद निहत्थे लोगों पर गोलियां चलवाने वाले जनरल डायर का क्या हुआ? क्या कोई मुकदमा उसपर दायर हुआ? कोई सजा मिली, ऐसे कई सवाल लोगों के मन में है.
केसरी चैप्टर 2 में जालियांवाला बाग का सच सामने लाने की कोशिश
केसरी चैप्टर 2 के जरिए भारत में 13 अप्रैल 1919 में घटित एक घटना का सच सामने लाने की कोशिश की गई है. हालांकि यह मूवी ऐतिहासिक रूप से सच नहीं है, क्योंकि जालियांवाला बाग नरसंहार के बाद कोई मुकदमा कोर्ट तक नहीं पहुंचा था, लेकिन इस मूवी में कोर्टरूम ड्रामा के जरिए जालियांवाला बाग में जनरल रेजिनाल्ड एडवर्ड हैरी डायर ने जो हैवानियत की थी, उसका काला चेहरा उजागर करने की कोशिश की गई है, जिसे उस दौर में ढंकने की कोशिश की गई थी. इस फिल्म में जालियांवाला नरसंहार के प्रति आम भारतीयों के मन में जो गुस्सा था उसे दिखाया गया है और यह बताया गया है कि जालियांवाला बाग में भारतीय किसी साजिश को अंजाम देने के लिए नहीं जुटे थे.
कौन थे सी शंकरन नायर , जिनका किरदार केसरी चैप्टर 2 में अक्षय कुमार ने निभाया
सी शंकरन नायर आजादी से पहले भारत के एक काबिल वकील थे. जालियांवाला बाग नरसंहार के बाद उन्होंने अपना विरोध दर्ज कराते हुए वायसराय की कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया और इस नरसंहार के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. उस वक्त उन्होंने एक किताब भी लिखी थी जिसमें इस हत्याकांड का विरोध किया गया था और जनरल डायर को निशाने पर लिया गया था.
जालियांवाला बाग नरसंहार के बाद गठित हुआ था हंटर कमीशन
जालियांवाला बाग नरसंहार के बाद भारतीयों ने इसका बहुत विरोध किया. आम जनमानस में ब्रिटिश सरकार के प्रति नफरत बढ़ गई और उनका विश्वास इस घटना ने डिगा दिया. इसे देखते हुए ब्रिटिश भारत में हंटर आयोग का 29 अक्टूबर 1919 को गठन किया गया. इस आयोग ने 26 मई 1920 को अपनी रिपोर्ट दी. जिसमें यह माना गया कि जनरल डायर का बिना चेतावनी दिए गोली चलवाने का निर्णय गलत था और यह भी माना गया कि भारतीय किसी षडयंत्र को अंजाम देने के लिए वहां जमा नहीं हुए थे. जनरल डायर को पद छोड़ना पड़ा था, लेकिन उसे कोई आपराधिक सजा नहीं सुनाई गई थी. किसी भारतीय ने इस घटना के खिलाफ कोर्ट का रुख नहीं किया था, क्योंकि उस वक्त भारत पर अंग्रेजों का शासन था और भारतीय गुलाम थे.
हंटर आयोग के सदस्य
- अध्यक्ष – लॉर्ड विलियम हंटर, पूर्व सॉलिसिटर-जनरल
- डब्ल्यूएफ राइस
- न्यायमूर्ति जीसी रैनकिन
- मेजर जनरल सर जॉर्ज बैरो
- सर चिमनलाल सीतलवाड़
- पंडित जगत नारायण
- सरदार सुल्तान अहमद खान
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