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CJI Kailashnath Vanchu: बिना लॉ की डिग्री के बने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, जानें कैसे हुई तैनाती

CJI Kailashnath Vanchu: सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर चर्चा में है. इस बार एक्स पर देश के 10वें मुख्य न्यायाधीश को लेकर पोस्ट की गई है. पूर्व सीजेआई को गृह युद्ध का जिम्मेदार बताने के बाद ये दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट के किसी जज पर टिप्पणी की गई है. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे एक्स के इस पोस्ट से फिर चर्चा में हैं.

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CJI Kailashnath Vanchu: सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया में तैनात हुए न्यायाधीशों पर समय-समय पर उंगलियां उठती रही हैं. कभी कोलेजियम सिस्टम पर, तो कभी विवादित फैसले देकर राज्यसभा की कुर्सी लेने, या फिर घर में पूजा के लिए प्रधानमंत्री को बुलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पर उंगली उठती रही है. इस बार भारत के 10वें मुख्य न्यायाधीश की पढ़ाई को लेकर एक्स पर पोस्ट किया गया है. ये पोस्ट किया है बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने. उन्होंने दावा किया है कि सुप्रीम के 10वें चीफ जस्टिस रहे कैलाशनाथ वांचू बिना लॉ की वैध डिग्री के इस पद पर तैनात किए गए थे.

कौन थे कैलाशनाथ वांचू

उनका जन्म मध्य प्रदेश में 1903 में हुआ था. 1924 में उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस (ICS) की परीक्षा पास की थी. इसके बाद वो ट्रेनिंग के लिए ब्रिटेन चले गए. ट्रेनिंग से लौटने के बाद 1926 में उन्हें यूनाइटेड प्रोविंस में असिस्टेंट मजिस्ट्रेट के पद पर नियुक्ति दी गई. इसके बाद वो वहां के कलेक्टर भी बने. एक रिपोर्ट के अनुसार आईसीएस की ट्रेनिंग के दौरान उन्हें अपराधिक कानून की भी जानकारी दी गई थी. यहां उन्होंने वकालत को नजदीक से समझने का मौका मिला. इसके बाद वो संयुक्त प्रांत (अभी का उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड) के अलग-अलग जिलों में तैनात रहे. 1937 में उन्हें सेशन व डिस्ट्रिक जज बनाया गया. इसके बाद 1947 में कैलाश नाथ वांचू इलाहाबाद हाईकोर्ट में कार्यकारी न्यायाधीश बने. 1956 में उन्हें न्यू राजस्थान हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया.

ऐसे बने CJI

कैलाशनाथ वांचू की चीफ जस्टिस बनने की कहानी बहुत रोचक है. एक रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के. सुब्बाराव ने 1967 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. अचानक इस्तीफे से खाली हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के पद पर उस समय अनुभव के मामले में वरिष्ठतम कैलाशनाथ वांचू को तैनात करना पड़ा. इस तरह वह सुप्रीम कोर्ट 10वें मुख्य न्यायाधीश बने. 24 अप्रैल 1967 को उन्होंने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का पदभार ग्रहण किया. इसके लगभग 10 महीने बाद 24 फरवरी 1968 को उन्होंने सेवानिवृत्ति ले ली थी. अपने 10 माह से कुछ अधिक समय के कार्यकाल के दौरान 355 फैसले सुनाए थे. उनके बाद चीफ जस्टिस मोहम्मद हिदायतुल्लाह बने.

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