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Pope Francis Funeral: निधन के बाद निकाल लिया जाता था पोप का दिल, जानें अब क्या होगा?

Pope Francis Funeral: पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में निधन हो गया. फेफड़ों के संक्रमण से पीड़ित पोप को 23 मार्च 2025 को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया गया था. लगभग 38 दिन बाद 21 अप्रैल को उनका निधन हो गया. अब उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां की जा रही हैं.

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Pope Francis Funeral: ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस को 14 फरवरी 2025 को रोम के जेमेली हॉस्पिटल में फेफड़ों में संक्रमण के कारण भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें डबल निमोनिया बताया था. इससे पहले मार्च 2023 में भी उन्हें ब्रॉन्काइटिस का अटैक हुआ था और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा था. पोप फ्रांसिस की मौत के बाद ईसाई समुदाय में शोक की लहर है. उनके अंतिम संस्कार की तैयारियों पर सबकी नजर है.

नौ दिन का शोक

पोप का अंतिम संस्कार प्राचीन परंपराओं पर आधारित है. लेकिन पोप फ्रांसिस ने रीति रिवाजों की जगह सामान्य तरीके से अंतिम संस्कार की इच्छा जताई थी. पोप की मृत्यु के बाद नौ दिन का शोक मनाया जाता है. इसे नोवेंडिएल कहा जाता है. निधन के बाद पोप को कपड़े पहनाकर सेंट पीटर बेसिलिका ले जाया जाता है. यहां रोम के पहले पोप सेंट पीटर को दफनाया गया था. यहां लोग पोप के अंतिम दर्शन करते हैं. लेकिन पोप फ्रांसिस ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि रोम के मारिया मैगीगोर बेसिलिका को इसके लिए चुना था. पोप की इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार एक सामान्य पादरी की तरह हो. जबकि पोप के शरीर को सेंट पीटर्स बेसिलिका में दफनाने की परंपरा है. 100 सालों बाद ये पहला मौका है जब पोप को वेटिकन के बाहर दफनाया जाएगा.

अंगूठी तोड़ने की परंपरा

पोप की मौत की घोषणा भी विशेष परंपरा से की जाती है. वेटिकन सिटी के सीनियर कार्डिनल पोप की मृत्यु की घोषणा करते हैं. पोप फ्रांसिस के निधन की घोषणा केविन फैरल ने की थी. इन्हें कैमरलेंगों कहा जाता है. कैमरलेंगों चर्च के अन्य सीनियर कार्डिनल के समूह को पोप की मौत की जानकारी देते हैं. जिसे कार्डिनल कॉलेज कहा जाता है. कार्डिनल वेटिकन प्रशासन को इसकी जानकारी देते हैं. इसके बाद वेटिकन प्रशासन मीडिया को पोप के निधन की सूचना देता है. इसके बाद पोप के शासन का अंत उनकी अंगूठी को तोड़कर किया जाता है. इस अंगूठी का इस्तेमाल पोप दस्तावेजों पर मुहर की तरह करते हैं. इसके बाद पोप के चैपल को सील कर दिया जाता है.

अंतिम संस्कार को सरल बनाने की इच्छा

पोप फ्रांसिस ने अपने अंतिम संस्कार को सरल बनाने की इच्छा जाहिर की थी. इसमें उन्होंने साइप्रस, जस्ता और एल्म के ताबूत की जगह सामान्य ताबूत का इस्तेमाल करने के लिए कहा था. उनके शव को परंपरा अनुसान कैटाफाल्क (ऊंचे मंच) पर नहीं रखा जाएगा. उन्होंने इसके लिए भी मना किया था. पोप के शव को पारंपरिक लाल पोशाक पहनाई जाएगी और उनके निजी चैपल में रखा जाएगा. अंतिम संस्कार की रस्म सेंट पीटर स्क्वायर में होने की संभावना है. यहां कॉर्डिनल कॉलेज के डीन जियोवानी बतिस्ता रहे लैटिन भाषा में प्रार्थना करेंगे. इस दौरान भजन, पवित्र भोज (यूचरिस्ट) का आयोजन होता है. लेकिन पोप फ्रांसिस ने अपने अंतिम संस्कार को सरल तरीके से करने के लिए कई परंपराओं को हटा दिया था.

दिल की निकालने की परंपरा

16वीं से 19वीं शताब्दी तक पोप का निधन का होने के बाद उनका दिल निकालन कर संरक्षित रखने की परंपरा थी. माना जाता है कि पोप की मृत्यु के बाद उनके शरीर को अंतिम दर्शन के लिए संरक्षित रखा जाता था. इस दौरान शरीर के कई अंगों को निकाल लिया जाता था. रोम के एक चर्च में कई पोप के दिल संगमरमर के कलश में संरक्षित किए गए हैं. 19वीं शताब्दी के बाद इस परंपरा को बंदकर दिया गया था.

पोप कौन हैं

कैथोलिक ईसाइयों में धर्मगुरु का सबसे बड़ा पद पोप का होता है. इसका अर्थ होता है पिता. वेटिकन सिटी से पोप का राज चलता है. होली सी को रोमन कैथोलिक चर्च और पोप का राजनायिक प्रतिनिधि कहा जाता है. इसका मुख्यालय वेटिकन सिटी में है. ईसाई धर्म के मामलों में पोप के आदेश सबको स्वीकार होता है.

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