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चाईबासा : ….जब युवा संघर्ष कार्यक्रम में हेमंत सोरेन ने कहा, सीबीआइ के डर से मुझे छोड़नी पड़ी इंजीनियरिंग की पढ़ाई

चाईबासा : झारखंड संघर्ष यात्रा पर निकले पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रविवार को चाईबासा में छात्र-छात्राओं से रूबरू हुए. पिल्लई हॉल में आयोजित युवा संघर्ष कार्यक्रम में उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई छूटने की कहानी सुनायी. उन्होंने बताया कि सीबीआइ के डर से उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी, जिससे वे इंजीनियरिंग के ड्रॉपआउट छात्र बनकर […]

चाईबासा : झारखंड संघर्ष यात्रा पर निकले पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रविवार को चाईबासा में छात्र-छात्राओं से रूबरू हुए. पिल्लई हॉल में आयोजित युवा संघर्ष कार्यक्रम में उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई छूटने की कहानी सुनायी.
उन्होंने बताया कि सीबीआइ के डर से उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी, जिससे वे इंजीनियरिंग के ड्रॉपआउट छात्र बनकर रह गये. पूर्व सीएम ने कहा : बीआइटी से इंजीनियरिंग की मेरी पढ़ाई के दौरान गुरुजी (पिता शिबू सोरेन) को राजनीतिक साजिश के तहत हत्या और नरसिम्हा राव के बचाव का आरोप मढ़ दिया गया.
इसके घेरे में हमारा पूरा परिवार आ गया. सभी को अपनी-अपनी पढ़ाई छोड़ थाना व कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ता था. बीआइटी सिंदरी के बाहर सीबीआइ के आदमी तंबू लगाकर रहते थे. तब मुझे लगता था कि पहले सीबीआइ वालों से बचा जाये या शिक्षा ग्रहण की जाये. बीआइटी के मशहूर छात्र होने के साथ-साथ कॉलेज राजनीति में सक्रिय होने के कारण मेरा कहीं छुपना भी मुश्किल था. मैंने कॉलेज के हॉस्टल में रहना छोड़ दिया.
किसी की बाइक या साइकिल पर बैठकर कॉलेज में आ-जाकर क्लास करने लगा. तब सीबीआइ वाले मेरी क्लास तक पहुंच गये. बीआइटी के क्लासरूम में इतने दरवाजे थे कि किसी भी छात्र का छिपकर बैठना आसान नहीं था. ऐसे में मेरा कॉलेज जाना भी बंद हो गया. मेरी पढ़ाई छूट गयी. मैं इंजीनियरिंग का ड्रॉपआउट छात्र बनकर रह गया.
परिवार घेरे में था, बीआइटी के बाहर तंबू लगाकर रहते थे सीबीआइ के लोग
उसी कॉलेज में अतिथि बनाया गया
उन्होंने कहा: आप सभी छात्रों से रूबरू होने का मेरा मकसद दिखावा करना नहीं है. हमें सोच बदलने की जरूरत है. मैं जिस बीआइटी का ड्रॉप आउट स्टूडेंट रहा, बाद में उसी कॉलेज में सीएम व पूर्व सीएम के तौर पर मुझे बुलाया गया़ यह मेरे लिए गर्व की बात है.
मेरे पिता मेरे आदर्श
श्री सोरेन ने कहा : मेरी पढ़ाई के बीच ही गुरुजी को जेल भेज दिया गया. मुसीबत में आस-पड़ोस, दोस्त-यार ने भी हमारा साथ छोड़ दिया. लेकिन गुरुजी के जेल जाने के बाद अलग झारखंड के आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया.
हम आदिवासी परिवार से थे़ इस कारण कोर्ट-कचहरी की हमें ज्यादा समझ नहीं थी. लेकिन गुरुजी को जेल से बाहर निकालना भी जरूरी था, क्योंकि उनके बगैर झारखंड कभी भी अलग राज्य नहीं बन पाता. हर किसी का एक आदर्श होता है. मेरे आदर्श पिता शिबू सोरेन हैं.
Prabhat Khabar Digital Desk
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