MPCE Jharkhand| Monthly Per Capita Expenditure Jharkhand: गांवों को भले आज भी पिछड़ा कहा जाता हो. गांवों में आय के स्रोत भले कम हों. लेकिन, खर्च के मामले में देखेंगे, तो अलग-अलग मद में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का शहर में रहने वालों की तुलना में ज्यादा है. आज बात करते हैं, वस्त्र, बेडिंग, जूते-चप्पल, शिक्षा, स्वास्थ्य और ईंधन पर खर्च की. क्या आपको मालूम है कि इन चीजों पर झारखंड में कहां ज्यादा खर्च होता है? शहरों में या गांवों में?
शिक्षा को छोड़ बाकी सभी चीजों पर ज्यादा खर्च करते हैं ग्रामीण
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि शिक्षा को छोड़ बाकी सभी चीजों पर गांवों के लोग ज्यादा खर्च करते हैं. ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपने कुल खर्च का 5.9 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करते हैं. वहीं, शहर में रहने वाले लोग अपने कुल खर्च का 10.8 प्रतिशत अपने बच्चों की शिक्षा पर खर्च करते हैं. यह गांवों की तुलना में दोगुना से 1 प्रतिशत कम है. झारखंड सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गयी है.

कपड़े-जूते पर 12.4 प्रतिशत खर्च कर देते हैं गांव के लोग
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के आंकड़े देखेंगे, तो पायेंगे कि वस्त्र, बिस्तर, जूते आदि पर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का खर्च शहरी लोगों की तुलना में अधिक है. शहर में रहने वाले लोग इन चीजों पर कुल खर्च का 10 प्रतिशत खर्च करते हैं, तो ग्रामीण क्षेत्रों में लोग 12.4 प्रतिशत राशि कपड़े खरीदने, बेडिंग और जूते-चप्पल आदि खरीदने में खर्च कर देते हैं.
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ईंधन और बिजली का भी खर्च गांवों में शहरों से ज्यादा
ईंधन और बिजली पर भी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का खर्च शहर में रहने वाले लोगों की तुलना में अधिक है. शहर के लोगों का ईंधन और बिजली पर खर्च 11.8 फीसदी है, तो गांवों में रहने वालों का इस मद में 13.8 प्रतिशत खर्च हो जाता है. यानी गांवों में रहने वाले लोगों का ईंधन और बिजली पर खर्च शहरी लोगों की तुलना में 2 फीसदी अधिक है.
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गांवों में इलाज कराना शहर से ज्यादा महंगा
अब बात करें स्वास्थ्य की. स्वास्थ्य पर भी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का खर्च शहर में रहने वाले लोगों की तुलना में ज्यादा है. शहरों में रहे लोगों का मेडिकल बिल कुल खर्च का 10.7 प्रतिशत है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में यही खर्च 12.6 प्रतिशत है. यानी गांवों में लोगों को स्वास्थ्य सेवा पर शहर में रहने वालों की तुलना में 2 प्रतिशत अधिक खर्च करना पड़ता है.
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