जमशेदपुर : समर कैंप से निकली वर्ल्ड चैंपियन कोमोलिका बारीवर्ल्ड कैडेट आर्चरी चैंपियनशिप का खिताब जीतकर एक बार फिर झारखंड का नाम रोशन करने वाली जमशेदपुर की कोमोलिका बारी के आर्चर बनने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है. 2012 में आइएसडब्ल्यूपी में आयोजित आर्चरी समर कैंप में वह पहली बार शामिल हुई. जहां उनकी मुलाकात कोच सुशांत पात्रो से हुई. कोच ने कोमोलिका में छिपी प्रतिभा को निखारा. कोमोलिका का शुरू में तीरंदाजी में मन नहीं लगता था.
लेकिन जब कोमोलिका की ट्रेनिंग सेंटर में एक अन्य आर्चर सानिया शर्मा से दोस्ती हुई तो दोनों मिलकर तीरंदाजी करने लगीं. धीरे-धीरे यह उनका जुनून बन गया. इसके बाद कोमोलिका टाटा आर्चरी एकेडमी के ट्रायल में पहुंचीं. जहां उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर चयनकर्ताओं ने एकेडमी के लिए चुन लिया. कोमोलिका की माता लक्ष्मी एक आंगनबाड़ी सेविका हैं. वहीं पिता घनश्याम एलआइसी एजेंट.
कोमोलिका के माता-पिता ने बेटी को एक आर्चर बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की और हर सुविधायें मुहैया करायी. कोमोलिका अपने घर से लगभग 18 किलोमीटर का सफर रोज साइकिल से तय करती थी. बकौल कोमोलिका उनकी कामयाबी या फिर यहां तक पहुंचाने में आइएसडब्ल्यूपी, माता-पिता व कोच का सबसे बड़ा योगदान है.
कोमोलिका ने पिछले तीन सालों में काफी प्रभावी प्रदर्शन किया है. स्कूल नेशनल, जिला स्तर, राज्य स्तर व इंटर सेंटर टूर्नामेंट में पदक जीतने के अलावा नेशनल व इंटरनेशनल चैंपियनशिप में भी पदक हासिल करने में कामयाब रही हैं. टाटा आर्चरी एकेडमी में ट्रेनिंग ले रही कोमोलिका अभी भारत की शीर्ष रिकर्व महिला आर्चरों में शामिल है.
कोमोलिका में शुरू से ही एक अच्छा आर्चर बनने का गुण मौजूद था. वह अपने खेल को लेकर काफी फोकस है. कोमोलिका के लिए यह एक शुरुआत है. उसे अभी लंबा सफर तय करना है.
पूर्णिमा महतो, कोच, टाटा आर्चरी एकेडमी
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने दी बधाई
भारतीय तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष सह केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने स्पेन में आयोजित यूथ आर्चरी चैंपियनशिप में महिला एकल कैडेट रिकर्व में भारत की कोमोलिका बारी के स्वर्ण पदक जीतने पर बधाई दी है. उन्होंने कहा है कि कोमोलिका ने देश का नाम रोशन किया है.