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भाईचारगी का इम्तिहान, हम पास हुए!

दुर्जय पासवान गुमला : रांची, लोहरदगा व पलामू के बाद गुमला जिले के भरनो में भी शुक्रवार को भाईचारगी का इम्तिहान हुआ. माहौल बिगाड़ने व लड़ाने का प्रयास सुनियोजित ढंग से हुआ था. लेकिन इस इम्तिहान की घड़ी में हम पास हुए. जाति व धर्म से ऊपर उठकर हम भाईचारगी पेश किये. क्योंकि समाज के […]

दुर्जय पासवान
गुमला : रांची, लोहरदगा व पलामू के बाद गुमला जिले के भरनो में भी शुक्रवार को भाईचारगी का इम्तिहान हुआ. माहौल बिगाड़ने व लड़ाने का प्रयास सुनियोजित ढंग से हुआ था. लेकिन इस इम्तिहान की घड़ी में हम पास हुए. जाति व धर्म से ऊपर उठकर हम भाईचारगी पेश किये. क्योंकि समाज के कोढ़ कहे जानेवाले चंद गिने चुने लोग अपनी सोच को मूर्त रूप देने का प्रयास किये.
लेकिन आपसी सूझबूझ ने एक बड़े विवाद को टाल दिया. प्रशासन की चुस्ती काम आयी. कमलपुर गांव. गुरुवार की रात को जैसे ही धािर्मक स्थल को खंडित किये जाने की सूचना मिली. प्रशासन तुरंत पहुंच गया. वहां लोगों का हुजूम पहले से था. मामला बिगड़ जाता. अगर कुछ लोग इस विकट परिस्थिति में धैर्य से काम नहीं करते. एसडीपीओ बच्चनदेव कुजूर की तत्परता काम आयी. एसपी के निर्देश पर वे तुरंत कमलपुर पहुंच गये. यह क्षेत्र पहले से उग्रवाद प्रभावित है. बिना पूर्व रणनीति के रात में पुलिस का मूवमेंट खतरे से कम नहीं है. फिर भी पुलिस ने खतरा लिया. रात को मूवमेंट की. जिसका फल अच्छा निकला. ऐसे अभी भी कुछ लोगों में आक्रोश है. लेकिन यह आक्रोश उन असामाजिक तत्वों के प्रति है. जिन्होंने आस्था पर चोट पहुंचाकर एकता को तोड़ने का प्रयास किया.
भरनो की घटना को कुछ लोग सोशल मीडिया में लाये. जैसे-जैसे लोगों को घटना की जानकारी मिली, थोड़ा क्रोध पनपा. पर किसी ने गलत टिप्पणी नहीं की. जिसका परिणाम है कि आज गुमला में शांति है. इससे पहले भी गुमला व सिसई के मुरगू में माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया गया था. पर उस समय भी लोगों ने सूझबूझ का परिचय दिया था. ऐसे भी गुमला अमन चैन का जिला है. गो मेला से प्रसिद्ध गुमला शुरू से ही भाईचारगी की मिशाल पेश करते रहा है.

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