मुसाबनी. सुरदा माइंस के विस्तारीकरण योजना से संचालित सुरदा फेस-2 पिछले पांच वर्षों से बंद है. ऐसे में माइंस की उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजना प्रभावित है. सुरदा फेस टू का काम करने वाली ठेका कंपनी श्रीराम ईपीसी व एचसीएल प्रबंधन के बीच भुगतान के मुद्दे पर विवाद है. इस बीच में मजदूर पिस रहे हैं. यहां काम करने वाले करीब 120 मजदूर व कर्मी 5 वर्षों से बेरोजगार हैं. मजदूरों ने कई बार एचसीएल प्रबंधन से की, लेकिन ठोस पहल नहीं हुई. मजदूर रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं. मजदूरों का परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा है. बच्चों की पढ़ाई के साथ परिवार चलाने में दिक्कत हो रही है.
2017 में पूरा करना था, एक तिहाई काम अधूरा
सुरदा फेस टू योजना से सोहदा में 600 मीटर गहरा नया शाफ्ट का निर्माण व माइंस को 18 लेवल तक विकसित करना है. वर्ष 2012 में ग्लोबल टेंडर के माध्यम से चेन्नई की कंपनी श्रीराम ईपीसी को ठेका मिला था. परियोजना की लागत 209 करोड़ रुपये थी. इसे 2017 तक पूरा करना था. परियोजना के पूरा होने से सुरदा माइंस की वर्तमान उत्पादन क्षमता 4 लाख टन वार्षिक से बढ़कर 9 लाख टन वार्षिक हो जाती. इससे तांबे का उत्पादन बढ़ता और रोजगार के नये अवसर मिलते. अबतक 393 मीटर शाफ्ट का निर्माण हो पाया है. एक तिहाई निर्माण अधूरा है.20 मार्च 2020 से शाफ्ट निर्माण बंद
सुरदा फेस 2 में 20 मार्च, 2020 से शाफ्ट निर्माण काम बंद है. ठेका कंपनी ने पानी निकासी सितंबर 2020 से भुगतान के मुद्दे को लेकर बंद कर दिया है. शाफ्ट में पानी भर गया है. मशीनरी डूब गयी है. माइनिंग मशीनरी कबाड़ में तब्दील हो गयी है. परियोजना के फिर से संचालन के लिए मशीनरी पर करोड़ों रुपये खर्च करने होंगे. एचसीएल प्रबंधन व ठेका कंपनी के बीच भुगतान के मुद्दे को लेकर विवाद आर्बिट्रेशन में चल रहा है. कुछ माह पूर्व कई दौर की बैठक हुई.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है