बिक्रमगंज : कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास, द्वारा जिले में प्रथम बार तीन विकसित मत्स्य प्रजातियों का प्रत्यक्षण राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड, हैदराबाद द्वारा आयोजित कार्यक्रम के तहत कराया गया. इन मत्स्य प्रजातियों के प्रत्यक्षण को मूर्त रूप देने में डॉ आर के सोहाने, प्रसार शिक्षा निदेशक, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर, ने अहम भूमिका निभायी. यह सारे प्रत्यक्षण कार्य बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एके सिंह के निर्देश पर किये गये. मत्स्य वैज्ञानिक केवीके रोहतास के आरके जलज ने बताया कि पूरे जिले में पांच पुरुष व एक महिला कृषक को कुल 40,000 मत्स्य बीज दिये गये हैं. जिले में पहली बार जयंती रोहू, आमूर कॉमन कार्प, विकसित कतला मत्स्य प्रजातियों का कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास ने प्रत्यक्षण कराया है.
Advertisement
कृषि विज्ञान केंद्र ने कराया मत्स्य प्रजातियों का प्रत्यक्षण
बिक्रमगंज : कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास, द्वारा जिले में प्रथम बार तीन विकसित मत्स्य प्रजातियों का प्रत्यक्षण राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड, हैदराबाद द्वारा आयोजित कार्यक्रम के तहत कराया गया. इन मत्स्य प्रजातियों के प्रत्यक्षण को मूर्त रूप देने में डॉ आर के सोहाने, प्रसार शिक्षा निदेशक, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर, ने अहम भूमिका निभायी. […]
जयंती रोहू मछली का साधारण रोहू मछली से 17% ज्यादा वृद्धि दर है. जयंती रोहू मछली साधारण रोहू की अपेक्षा दो महीने पहले तैयार हो जाती है. मत्स्य किसानों को इसके पालन से लागत में कमी व आय में वृद्धि होती है. जयंती रोहू मछली को केंद्रीय मीठा जल जीव पालन संस्थान, भुवनेश्वर द्वारा अनुवांशिक रूप से विकसित की गयी है. आमूर कॉमन कार्प मत्स्य प्रजाति साधारण कॉमन कार्प की तुलना में 27% अधिक वृद्धि करती है.
यह मछली एक साल पूरे होते ही प्रजनन योग्य हो जाती है. जिसके फलस्वरुप प्रजनन वृद्धि कम व मांसल वृद्धि अधिक होती है. प्रत्यक्षण अंतर्गत दी गयी तीसरी मत्स्य प्रजाति विकसित कतला है, जो साधारण कतला मछली की अपेक्षा 16 से 22% की अधिक वृद्धि करती है. पुरुषों में राजेश सिंह कल्याणपुर, संतोष बड़की अकोढ़ी करहगर, मदन सिंह कोचस, रोहन कुमार घुसियाखुर्द व संजू कुमारी इटंवा को तीनों मत्स्य प्रजाति दी गयी है.
सभी किसानों को प्रति हेक्टेयर 7000 मछली दी गयी है. कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान डॉ रामपाल ने कहा कि सभी मत्स्य प्रजातियां पूरे एक वर्ष में तैयार हो जायेगी और कुल उत्पादन 5000 से 6000 किलोग्राम तक होगी, जिससे 10 लाख से 12 लाख रुपये की कुल आय प्राप्त होगी. इस प्रत्यक्षण कार्यक्रम के दौरान उद्यान वैज्ञानिक डॉ रतन कुमार, अभिषेक कुमार, राकेश कुमार इत्यादि मौजूद थे.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement