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पटना के अभय सिंह रूस में बने विधायक, कहा- रूस मेरी ”कर्मभूमि”, पटना मेरी ”पुण्य भूमि”

पटना : बिहार की राजधानी पटना से मेडिकल की पढ़ाई करने रूस गये अभय कुमार सिंह ने रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन की यूनाइटेड रशा पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर कुर्स्क प्रांत के डेप्यूतात यानी विधायक बन गये हैं. रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन से प्रभावित पटना में जन्मे अभय कुमार सिंह चुनाव जीतने […]

पटना : बिहार की राजधानी पटना से मेडिकल की पढ़ाई करने रूस गये अभय कुमार सिंह ने रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन की यूनाइटेड रशा पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर कुर्स्क प्रांत के डेप्यूतात यानी विधायक बन गये हैं. रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन से प्रभावित पटना में जन्मे अभय कुमार सिंह चुनाव जीतने के बाद प्रभात खबर के संवाददाता नितिश से खास बातचीत में बताया कि ‘बेशक! मैं रूस में हूं. कुर्स्क मेरी कर्मस्थली है. अलबत्ता, भारत और बिहार मेरी पुण्य भूमि है.’ साथ ही उन्होंने पटना के बोरिंग रोड का खास जिक्र करते हुए कहा कि सहपाठियों के साथ यहां पर घूमते हुए बातचीत करना बेहद अच्छा लगता है. उन्होंने जल्द ही पटना आने की भी बात कही.

पटना में जन्मे अभय कुमार सिंह मेडिकल की पढ़ाई करने रूस गये थे. अब वे वहां के कुर्स्क प्रांत में डेप्यूतात हैं. रूस में डेप्यूतात का वही मतलब है, जो भारत में विधायक या एमएलए का होता है. अभय कुमार सिंह ने ब्लादीमिर पुतिन की यूनाइटेड रशा पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता है. पटना में जन्मे अभय सिंह राष्ट्रपति पुतिन से बहुत प्रभावित रहे हैं. इसी वजह से उन्होंने राजनीति में प्रवेश करने का फैसला किया. दरअसल, यूनाइटेड रशा रूस की सत्ताधारी पार्टी है, जिसने हाल के आम चुनावों में देश की संसद (दूमा) में 75 फीसदी सांसद भेजे हैं. पिछले 18 वर्षों से पुतिन सत्ता में हैं. हालांकि, पुतिन ने 2018 का चुनाव बतौर निर्दलीय उम्मीदवार लड़ कर जीता था, लेकिन पार्टी का पूरा समर्थन उनके पीछे रहा है. अभय ने इस चुनाव के कुछ महीने पहले अक्तूबर, 2017 में व्लादिमीर पुतिन की पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर कुर्स्क विधानसभा का चुनाव जीत लिया था.

बिहार से रिश्ता बरकरार

अभय ने बताया कि उनका जन्म पटना में हुआ है. उन्होंने यहां के लोयोला स्कूल से पढ़ाई की. 1991 में वे कुछ दोस्तों के साथ मेडिकल की पढ़ाई करने रूस आये थे. अभय के मुताबिक, काफी मेहनत से पढ़ाई पूरी कर वे पटना वापस लौटे और प्रैक्टिस करने के लिए रजिस्ट्रेशन भी करा लिया. वे अपने निजी या पारिवारिक जीवन के बारे में बात नहीं करना चाहते. बस इतना ही कहते हैं कि बिहार से उनका रिश्ता बना हुआ है. उन्होंने कहा कि ऊपर वाले ने उनका कॅरियर रूस में ही लिखा था. वे भारत से वापस रूस आ गये. कुछ लोगों के साथ मिल कर दवा का बिजनेस शुरू किया. अभय कहते हैं कि उन्हें याद है कि शुरुआत में बिजनेस करने में खासी मुश्किल होती थी, क्योंकि वे गोरे भी नहीं थे. लेकिन, उन्होंने भी तय कर रखा था कि कड़ी मेहनत के साथ अड़े रहेंगे. जैसे-जैसे अभय के पैर रूस में जमते गये, व्यापार में भी बढ़ोतरी हुई. फार्मा के बाद अभय ने रियल एस्टेट में हाथ आजमाया. उनके मुताबिक आज उनके पास कुछ शॉपिंग मॉल भी हैं.

जब भी समय मिलता है, पटना आते हैं

रूसी राष्ट्रपति पुतिन से प्रभावित अभय को इस बात पर गर्व है कि भारतीय होने के बावजूद वे रूस में रम गये और आज वहां पर चुनाव भी जीत चुके हैं. उन्होंने बताया कि आज भी कोशिश रहती है कि जब समय मिले, तो बिहार जरूर आयें, क्योंकि सभी मित्र और रिश्तेदार पटना में ही हैं.

पटना और सहपाठियों को भुलाना मुश्किल ही नहीं असंभव : अभय

बेशक, पटना के सपूत अभय सिंह रूस में अब राजनेता बन गये हैं,लेकिन पटना शहर की जीवंतता उनके जेहन में हमेशा कायम रहती है. बातचीत के दौरान उन्होंने पटना शहर की बोरिंग रोड का खास जिक्र किया. उन्होंने बताया कि सहपाठियों के साथ यहां पर घूमते हुए बातचीत करना बेहद अच्छा लगता है. पटना के बारे में उन्होंने बताया कि वह जीवंत शहर है. बेशक, मैं रूस में हूं. कुर्स्क मेरी कर्मस्थली है. अलबत्ता भारत और बिहार मेरी पुण्य भूमि है. भला उसे कैसे भुलाया जा सकता है.

रूस के कुर्स्क प्रांत के डेप्यूतात (भारतीय राज्यों के विधानसभा प्रतिनिधियों के समकक्ष) में वह अपनी जीत के संदर्भ में बताते हैं कि मुझसे रूसी प्रेम करते हैं. मुझे 75 फीसदी वोट मिले. यह बड़ी बात है. मुझे रूस खासतौर पर कुर्स्क के मतदाताओं पर गर्व है कि लोगों ने सिर्फ काम के प्रति मेरा समर्पण देखा. लोगों ने मेरी राजनीतिक प्रतिबद्धता देखी. उन्होंने कहा कि रूस में सबसे लोकप्रिय नेता पुतिन हैं. उन्होंने बताया कि मैं रूस में मिली राजनीतिक सफलता की खुशी भारत के साथ साझा करना चाहता था, इसके लिए भारतीय दूतावास से फरवरी 2018 में समय भी मिल गया था. अफसोस मेरी मां चल बसीं. मैं ऐसा नहीं कर सका. उन्होंने कहा कि मैं जल्दी ही पटना आऊंगा.

अभय कुमार सिंह का आवास पटना में बोरिंग केनाल रोड पर है. उन्होंने बताया कि उन्हें स्कूल के दिन बहुत याद आते हैं. मैं स्कूल के सहपाठियों को बहुत मिस करता हूं. उन्होंने बड़े उत्साह से कहा कि वह हमेशा ही पटना आते हैं. अपने तमाम परिजनों और सहपाठियों से मिलते हैं. उन्होंने कहा कि वे लोयला के पूर्ववर्ती छात्रों के वाट्सएप ग्रुप से भी जुड़े है. जानकारी हो कि उन्होंने लोयला हाईस्कूल पटना से 1988 में मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. उन्हें अभी भी याद है कि वे स्कूल में यलो ग्रुप में थे. उन्होंने बताया कि मेरे बैच के कई सहपाठी पटना में ही सरकारी विभागों में अच्छे पदों पर है. कई सहपाठी बिजनेस मैन भी है. हरिनिवास कॉम्पलेक्स के बिजनेसमैन चंद्र विजय भी उनके बारे में बताते है कि वह जब भी पटना आता है, तो मेरी दुकान पर अवश्य आता है. उसका रहन-सहन सादगी भरा है. कोई भी नहीं कह सकता है कि वह कुर्स्क प्रांत का डेप्यूतात (विधायक) है. वह तीन माह पहले भी पटना आया था. इस दौरान स्कूल की यादें ताजा हुईं थीं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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