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युवाओं के लिए प्रेरणा बने 98 वर्ष की उम्र में स्नातकोत्तर की डिग्री लेनेवाले छात्र राजकुमार वैश्य

पटना : कोई भी काम करने के लिए उम्र छोटी या बड़ी नहीं होती. जिस उम्र में लोग जीने की उम्मीदें भी छोड़ देते हैं, उस उम्र में एक छात्र ऐसा भी है, जिसने जीवन को भरपूर और अंतिम समय तक ऐसे ही जिया, जैसे कोई युवा जीता है. जी, हां ये हैं नालंदा खुला […]

पटना : कोई भी काम करने के लिए उम्र छोटी या बड़ी नहीं होती. जिस उम्र में लोग जीने की उम्मीदें भी छोड़ देते हैं, उस उम्र में एक छात्र ऐसा भी है, जिसने जीवन को भरपूर और अंतिम समय तक ऐसे ही जिया, जैसे कोई युवा जीता है. जी, हां ये हैं नालंदा खुला विवि के साथ बिहार ही नहीं देश के सबसे उम्रदराज स्नातकोत्तर के 98 वर्षीय छात्र राजकुमार वैश्य. उम्र के इस पड़ाव पर भी उन्होंने न सिर्फ दो वर्ष की पढ़ाई पूरी की, बल्कि परीक्षा देने के लिए विशेष सुविधा लेने से भी इनकार करते हुए सभी छात्रों के बीच बैठ कर परीक्षा भी दी और सफलतापूर्वक उतीर्ण भी किया. ‘पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती’ इस कथ्य को बुजुर्ग छात्र राजकुमार वैश्य ने पूरी तरह से सार्थक कर दिया.

कोडरमा स्थित माइका कंपनी में महाप्रबंधक रहे छात्र राजकुमार वैश्य के अभिनंदन में तालियों से गूंज उठा पूरा हॉल

झारखंड के कोडरमा स्थित माइका कंपनी में कई दशक तक महाप्रबंधक रहे राजकुमार वैश्य जब डिग्री लेने के लिए व्हीलचेयर पर मंच तक आये और उठ कर ठीक से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे, तो राज्यपाल, विशिष्ट अतिथि, कुलपति समेत पूरा हॉल उनके अभिनंदन में खड़ा हो गया और पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. वॉकर के जरिये खड़े होकर उन्होंने डिग्री प्राप्त की. राज्यपाल सत्यपाल मल्लिक, मेघालय के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने उन्हें अपने हाथों से डिग्री प्रदान की. उम्र की परेशानी की वजह से वे लोगों को मंच से संबोधित नहीं कर पाये, लेकिन इस मंच पर सिर्फ एक बार खड़े होकर उन्होंने पूरी दुनिया को यह संदेश दे दिया कि किसी भी काम के लिए उम्र बाधा नहीं है. अगर ठान लो तो किसी भी उम्र में कोई भी काम किया जा सकता है.

पटना निवासी राज कुमार वैश्य 96 वर्ष की उम्र में 2015 में नालंदा खुला विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विषय में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त करने के लिए नामांकन लिया था. अपने नियमित सत्र में उन्होंने स्नातकोत्तर की परीक्षा में उत्तीर्णता हासिल की है. उन्हें स्नातकोत्तर की उपाधि से अलंकृत किया गया. राज कुमार वैश्य का इस उम्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त करना, भारत के नौजवानों के लिए खास तो है ही, इसके साथ-साथ बिहार के भी उन शिक्षार्थियों के लिए भी एक सीख है, जो उच्चतर शिक्षा को प्राप्त करने से वंचित रह गये हैं. उनके लिए वे प्रेरणादायी एवं मार्गदर्शक हैं.

उत्तर प्रदेश के बरेली के हैं मूलवासी

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बरेली निवासी राजकुमार वैश्य ने वर्ष 1938 में आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक किया था. उसके बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई की, जिस कारण अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर नहीं कर पाये. अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर नहीं कर पाने का मलाल उन्हें ताउम्र रहा. इसलिए उन्होंने 96 वर्ष की उम्र में अपनी इच्छा पूरी करने की ठानी और नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी में नामांकन ले लिया. स्नातकोत्तर में नामांकन लेने के बाद लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम सबसे अधिक उम्र के छात्र के रूप में दर्ज किया गया.

अब भी हैं पठन-पाठन में सक्रिय

98 वर्षीय छात्र राजकुमार वैश्य अब भी पठन-पाठन से जुड़े हैं. वह अभी अर्थशास्त्र पर किताब लिख रहे हैं. राजकुमार वैश्य के मुताबिक वह अपनी पुस्तक के माध्यम से गरीबी कम करने के उपाय बताने की कोशिश कर रहे हैं. मालूम हो कि उनके पुत्र संतोष कुमार एनआईटी में प्रोफेसर थे, अब वे भी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. वहीं, राजकुमार वैश्य की बहू प्रोफेसर भारती एस कुमार पटना विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की अध्यक्ष रह चुकी हैं.

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