17.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मांगे 13, मिला मात्र 1.50 करोड़

पूरी नहीं हुई आस. राहत उपलब्ध कराने में जिला प्रशासन का छूट रहा पसीना मुंगेर िजला बाढ़ की त्रासदी झेल रहा है. इस बीच बाढ़ प्रभावितों को राहत उपलब्ध कराने में िजला प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं. िवभाग ने 13 करोड़ रुपये मांगे थे, जबकि महज 1.5 करोड़ िमले. मुंगेर : भीषण बाढ़ की […]

पूरी नहीं हुई आस. राहत उपलब्ध कराने में जिला प्रशासन का छूट रहा पसीना

मुंगेर िजला बाढ़ की त्रासदी झेल रहा है. इस बीच बाढ़ प्रभावितों को राहत उपलब्ध कराने में िजला प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं. िवभाग ने 13 करोड़ रुपये मांगे थे, जबकि महज 1.5 करोड़ िमले.
मुंगेर : भीषण बाढ़ की त्रासदी झेल रहे बाढ़ पीड़ितों को राहत उपलब्ध कराने में जिला प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं. बाढ़ आपदा को देखते हुए जिला प्रशासन ने सरकार से विभिन्न मदों में 13 करोड़ रुपये की मांग की है, लेकिन सरकार ने मात्र 1.50 करोड़ रुपये ही जिला प्रशासन को उपलब्ध कराया. फलत: जिला प्रशासन को राहत पहुंचाने में पसीना छूट रहा है.
जिला प्रशासन की ओर से मुंगेर में बाढ़ का मुल्यांकन सही से नहीं किया. सिर्फ कागजों पर इनका मूल्यांकन चलता रहा और बाढ़ का पानी अपना दायरा बढ़ता चला गया. जब जिले के मुंगेर सदर, नगर निगम, जमालपुर, धरहरा, बरियारपुर, हवेली खड़गपुर एवं असरगंज तक बाढ़ के पानी का फैलाव हो गया और लोगों के बीच त्राहिमाम के बाद प्रशासन की नींद खुली. 20 अगस्त को जिला प्रशासन ने राज्य को त्राहिमाम संदेश भेजा.
तब तक बहुत देर हो चुकी थी. बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से खाद्यान्न मद में छह करोड़ रुपया डिमांड किया गया. लेकिन राज्य से मात्र 50 लाख रुपये ही दिये गये. पीड़ितों की सहायता के लिए अगल से छह करोड़ रुपया का डिमांड किया गया. इस मद में भी मात्र 50 लाख रुपये एवं बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने यानी आबादी निष्क्रमित के लिए 1 करोड़ में मात्र 50 लाख रुपया दिया गया.
13 करोड़ की जगह मात्र 1.50 लाख रुपये मिले. जिससे बाढ़ की विभिषिका से जूझ रहे लोगों को राहत उपलब्ध कराने में जिला प्रशासन परेशान है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें