किशनगंज : जिले का विकास और विस्तार तो हो रहा, लेकिन सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही. यह चिंताजनक है.ऐसे में यदि कभी अनहोनी हुई तो स्थिति भयावह हो सकती है. किशनगंज शहर की ही बात करें तो यहां बड़ी-बड़ी इमारतों में कई निजी अस्पताल, बैंक और बीमा कंपनियों के कार्यालय है. कोचिंग संस्थानों की भी यही स्थिति है. इसके संचालन में भी मानकों का ख्याल नहीं रखा जा रहा है. इसके अलावा बैंक, होटल, व्यावसायिक कांप्लेक्स, मॉल भी बेतरतीब स्थिति में हैं.
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ऊंची होती इमारतें, सुरक्षा मानकों का ख्याल नहीं
किशनगंज : जिले का विकास और विस्तार तो हो रहा, लेकिन सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही. यह चिंताजनक है.ऐसे में यदि कभी अनहोनी हुई तो स्थिति भयावह हो सकती है. किशनगंज शहर की ही बात करें तो यहां बड़ी-बड़ी इमारतों में कई निजी अस्पताल, बैंक और बीमा कंपनियों के कार्यालय है. कोचिंग संस्थानों […]
सुरक्षा मानकों का पालन नहीं हो रहा है. अधिकांश जगहों पर सुरक्षा के कोई उपकरण नहीं मिल रहे हैं. इससे बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावक भी खतरे में पड़ जाते हैं. यूं तो मनुष्य की जान की कीमत कोई लगा नहीं सकता. लेकिन हादसे के शिकार हो जाने के बाद उनकी जान की कीमत मुआवजे के रूप में जरूर लगा दी जाती है. जो कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है.
पार्किंग नहीं, सड़क पर खड़ी होती गाड़ी
शहर में कई ऐसी कोचिंग संस्थाएं, नर्सिंग होम, हॉस्पिटल हैं जो मानकों के ही अनुरूप नहीं हैं. इन अधिकांश भवनों में पार्किंग नहीं है. अग्निकांड होने पर सेफ पैसेज, खुला एरिया भी नहीं है. कुछ नर्सिंग होम में मरीजों के कमरों में क्रास वेंटीलेशन तक नहीं है. अंधेरे, सीलन भरे कमरों में मरीजों को धकेल दिया जाता है. मजबूरीवश मरीज भी कुछ बोल नहीं पाते.
कोचिंग सेंटरों, अस्पतालों के कुछ सुरक्षा मानक
पर्याप्त जगह होनी चाहिए प्रवेश और निकासी के लिए
दो दरवाजे होनी चाहिए
ऊपरी मंजिल पर ओवर हेड टैंक हो, जिसमें हमेशा पानी भरा रहे
मरीजों के कमरे हवादार होने चाहिए
जगह जगह अग्निशमन यंत्र लगे हों
आपातकालीन संकेतक और फायर अलार्म हों
अग्निशमन, पुलिस और इमरजेंसी नंबरों का डिस्प्ले हो
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