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Shravani Mela 2022: भागलपुर से बासुकीनाथ की कांवर यात्रा, सिलीगुड़ी से भी आया जत्था, करेंगे जलार्पण

Shravani Mela 2022: कोरोनाकाल के दो साल बाद अब भागलपुर के बरारी गंगा घाट पर भी कांवरियों का जुटान हुआ. रविवार को गंगाघाट से 15 हजार से अधिक कांवरियों ने जल भरा.

Shravani Mela 2022: लगातार दो साल तक कोरोना काल को झेलने के बाद सावन की पहली सोमवारी के लिए रविवार को भागलपुर के विभिन्न घाटों हनुमान घाट, एसएम कॉलेज सीढ़ी घाट, बरारी सीढ़ी घाट, बरारी पुल घाट पर प्रात: से ही डाक बम व बोल बम आने लगे थे. दिनभर डाकबम के लिए जल भरने वालों का सिलसिला जारी रहा. पहली सोमवारी के लिए डाकबमों का कम रूझान रहा. हालांकि पहले से इस बार रुझान बढ़ा हुआ था. 15 हजार से अधिक कांवरियों ने जल भरा व डाक बम व बोल बम के लिए निकले.

विभिन्न जिलों के श्रद्धालुओं ने डाक बम के लिए भरा जल

जल भरने वाले डाक बम सोमवार को बासुकीनाथ समेत अन्य बाबा भोलेनाथ के मंदिर जेठोरनाथ, गोनूधाम आदि में जलाभिषेक करेंगे. गोड्डा गांधी नगर के रामचंद्र प्रसाद ने बताया कि उनकी मनोकामना पूरी हुई, लेकिन कोरोना काल में बाबा धाम जाने पर रोक था. इसलिए एक साल इंतजार करना पड़ा. इसलिए पहली सोमवारी को ही डाकबम जा रहे हैं.

शिव पर ऐसी आस्था, बन गये डाक बम

बांका बौंसी के प्रीतम कुमार ने बताया कि हरेक सावन में किसी भी सोमवारी को बासुकीनाथ में भगवान शंकर को जल चढ़ाते है. दो साल तक बासुकीनाथ सावन में जा सके. इस बार पहली सोमवारी के लिए ही जल भरा. खरौनी के सुबोध पासवान ने बताया कि वह भगवान शिव पर पूरा आस्था रखते हैं, इसलिए पहली सोमवारी के लिए ही डाक बम जा रहे हैं.

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सिलीगुड़ी से पहुंची थी 11 लोगों की टोली

सिलीगुड़ी से 11 श्रद्धालुओं की टोली एसएम कॉलेज सीढ़ी घाट पर स्नान करने के लिए पहुंची थी. इसमें बप्पी सिल, प्रदीप ठाकुर, अमर विश्वास, विष्णु राय, मोहन तोपसिल आदि ने बासुकीनाथ धाम के लिए जल उठाया. उन्होंने बताया के वे हरेक साल सावन में भागलपुर गंगा तट आते हैं. कोई फूल, कोई किराना की दुकान चलाते हैं तो कोई किसान हैं. सभी मिल कर सात साल से बासुकीनाथ व देवघर में जलार्पण करते हैं.

एसएम कॉलेज घाट मार्ग पर नुकीले पत्थरों से होकर गुजरे कांवरिया

एसएम कॉलेज गंगा तट से जैसे ही कांवरिया ऊपर की ओर बढ़े, उन्हें नुकीले पत्थरों का सामना करना पड़ा. ज्यों-ज्यों भीड़ बढ़ेगी. यह परेशानी और बढ़ेगी. हालांकि घाट पर वेपर व अस्थायी स्नान घर बनाया गया था. गंगा में कांवरियों को गहरे पानी में जाने से रोकने के लिए बांस की बैरिकेडिंग करायी गयी थी.

Published By: Thakur Shaktilochan

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